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भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान में बहकर जाने से रोकने के लिए काम शुरू, किसानों को होगा लाभ

Gajendra Singh Shekhawat. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के मुताबिक भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान में बहकर जाने से रोकने के लिए काम शुरू हो गया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 01:27 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 02:29 PM (IST)
भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान में बहकर जाने से रोकने के लिए काम शुरू, किसानों को होगा लाभ
भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान में बहकर जाने से रोकने के लिए काम शुरू, किसानों को होगा लाभ

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि पाकिस्तान की तरफ बहने वाली नदियों का पानी भारत के लिए मोड़ने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौते के तहत भारत को रावी-व्यास और सतलुज नदियों के पानी का उपयोग करने अधिकार हासिल है। वहीं, झेलम, सिंधु और चिनाब नदियों पर पाकिस्तान का अधिकार है। समझौते के बावजूद भारत के हिस्से में आई रावी, व्यास और सतलुज नदियों के पानी का को पूरी तरह से रोका नहीं जा सका है। इस पानी को रोकने के लिए तीन बांध बनने थे, लेकिन उनमें से एक का काम तो अब तक शुरू भी नहीं हो सका है। अब केंद्र सरकार इस बांध का काम शुरू करेगी।

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शेखावत ने कहा कि भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान में बहकर जाने से रोकने के लिए काम शुरू हो गया है। शेखावत ने "दैनिक जागरण" से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोककर इसे भारतीय किसानों, उद्योगों और आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार हाइड्रोलॉजिकल और टेक्नो फिजिबिलिटी स्टडीज पर काम कर रही है।

तीन राज्यों के किसानों को होगा लाभ
पाकिस्तान बहने वाले पानी को रोकने से राजस्थान के साथ ही पंजाब और हरियाणा को भी फायदा होगा। राजस्थान के जलदाय मंत्री डॉ. बीडी कल्ला का कहना है कि यदि रावी-व्यास और सतलुज नदियों का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने के निर्णय से प्रदेश को काफी लाभ होगा। यह पानी बारिश के मौसम में लाखों क्यूसेक और आम दिनों में करीब 1300 क्यूसेक होता है। 

रावी-व्यास और सतलुज के पानी में हरियाणा व पंजाब के साथ राजस्थान को भी 1955 के समझौते के तहत हिस्सेदारी है। लिहाजा कई बार अकाल झेलने वाले राजस्थान को यदि मानसून के दौरान भारत से बहकर पाकिस्तान जाने वाले लाखों क्यूसेक पानी की एक तिहाई सप्लाई भी हो जाती है तो प्रदेश के 10 जिले सरसब्ज हो जाएंगे, 70 फीसद भूभाग से अकाल का साया हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। प्रदेश के पाली, नागौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, सीकर, झुंझुनू व जोधपुर के किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलेगा।

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