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नीतीश कुमार का सराहनीय कदम, सरकारी विभागों को महिलाएं करेंगी लीड

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एक निर्णय के अनुसार अब बिहार के सभी सरकारी विभागों को महिलाएं ही लीड करेंगी। नीतीश कुमार के इस फैसले को महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 10:36 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 10:36 AM (IST)
नीतीश कुमार का सराहनीय कदम, सरकारी विभागों को महिलाएं करेंगी लीड
महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

नई दिल्ली, सुनीता मिश्र। महिलाओं के उत्थान के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सराहनीय निर्णय लिया है। इसके तहत अब प्रदेश के सभी सरकारी विभागों को महिलाएं लीड करेंगी। दरअसल बिहार सरकार अपने इस कार्यकाल में सात निश्चय भाग-2 लेकर आ रही है, जिसमें ‘सशक्त महिला, सक्षम महिला’ योजना को धरातल पर लाने की तैयारी है। उनके इस फैसले से राज्य के अलग-अलग कार्यालयों में सभी पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ेगी। नीतीश कुमार के इस फैसले को महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है, लेकिन इस योजना का राज्य की कितनी प्रतिशत महिलाएं लाभ उठा पाएंगी, यह वक्त बताएगा।

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गौरतलब है कि इससे पहले नीतीश कुमार ने नौकरी में महिलाओं को पहले से 35 प्रतिशत आरक्षण दिया हुआ है। इसके बावजूद बिहार सरकार के अधीनस्थ कार्यालयों में अब भी कार्यालय प्रधान के रूप में महिला पदाधिकारियों की संख्या बहुत कम पाई जा रही, जिससे आरक्षण के प्रविधानों का मौलिक उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। इसका एकमात्र कारण प्रदेश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की साक्षरता दर का कम होना है।

भारत की राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार कम साक्षरता दर वाले राज्यों में तीसरे स्थान पर है। 70.9 फीसद समग्र साक्षरता दर के साथ बिहार राष्ट्रीय औसत (77.7 फीसद) से 6.8 फीसद कम है। बिहार में जहां 79.7 फीसद पुरुष साक्षर हैं, वहीं 60 फीसद महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं। आंकड़ों के अनुसार देश भर में आज जितने भी कलेक्टर और एसपी हैं उनमें सबसे अधिक 12 से 13 प्रतिशत बिहार से हैं, लेकिन इनमें महिलाओं का प्रतिशत आज भी बेहद कम है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बिहार में महिलाओं की शिक्षा के प्रति जागरूकता बहुत कम है। ऐसे में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है, जैसे नौकरी में आरक्षण होने के बावजूद वे चाहकर भी इसका लाभ नहीं उठा पाती हैं। दरअसल महिलाओं को लेकर समाज एवं परिवार वालों की दकियानूसी सोच के चलते भी वे शिक्षा पाने के अपने अधिकार से वंचित रह जाती हैं और जीवन भर अपने पिता और उसके बाद पति पर आश्रित रहने को मजबूर रहती हैं।

यह सर्वविदित है कि एक पढ़ी-लिखी महिला अपने परिवार को सभ्य और प्रगतिशील तो बनाती ही है, इसके साथ ही समाज और देश के विकास में अप्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से कई भूमिकाएं भी निभाती है। इसलिए सरकार के साथ-साथ परिवार और समाज को भी अपनी बेटियों को आगे बढ़ने में मदद करनी होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि बिहार सरकार ने जो सकारात्मक कदम उठाकर महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका दिया है, उससे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुनहरा होगा।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


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