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इस महिला पुलिस अधिकारी ने आसाराम को गिरफ्तार कर पहुंचाया था सलाखों के पीछे

महिला पुलिस अधिकारी चंचल मिश्रा की बदौलत दुष्कर्म के आरोपी आसाराम को हजारों समर्थकों के बीच से गिरफ्तार किया जा सका था।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 11:37 AM (IST)
इस महिला पुलिस अधिकारी ने आसाराम को गिरफ्तार कर पहुंचाया था सलाखों के पीछे
इस महिला पुलिस अधिकारी ने आसाराम को गिरफ्तार कर पहुंचाया था सलाखों के पीछे

नई दिल्ली (जेएनएन)। दुष्कर्म के आरोप लगने के बाद लाखों समर्थकों वाले आसाराम को दूसरे राज्य में जाकर गिरफ्तार करना आसान काम नहीं था। लेकिन यह काम राजस्थान की एक महिला पुलिस अधिकारी चंचल मिश्रा ने कर दिखाया। चंचल मिश्रा उस समय जोधपुर में एसीपी के पद पर थीं। वह अभी भीलवाड़ा में डिप्टी एसपी पद पर हैं।

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मीडिया से बातचीत में चंचल ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की। इस मामले की चार्जशीट भी चंचल मिश्रा ने ही तैयार की थी और वकीलों का कहना है कि इस मामले की सबसे बड़ी मजबूती इसकी चार्जशीट थी। इसके चलते ही आसाराम को एक बार भी जमानत नहीं मिल पाई। गवाही के दौरान भी चंचल मिश्रा सख्ती से डटी रहीं। चंचल मिश्रा ने बताया कि हम जब आसाराम को पकड़ने गए तो वह हजारों समर्थकों से घिरा हुआ था। जब आश्रम के लोगों ने हमें सहयोग नहीं दिया तो हमें सख्ती भी करनी पड़ी, लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस व राजस्थान पुलिस के अधिकारियों के बीच समन्वय बहुत अच्छा था और इसी कारण यह गिरफ्तारी हो पाई।

इन्होंने बनाई रणनीति, 11 दिन में पकड़ा था आसाराम को
राजस्थान में इस ऑपरेशन की रणनीति जोधपुर के तत्कालीन डीसीपी अजयपाल लांबा ने तैयार की थी। उनका मानना है कि आसाराम को उनके अंधभक्तों के बीच से गिरफ्तार करना आसान काम नहीं था। पुख्ता सबूत और मजबूत रणनीति के चलते ही यह काम संभव हो पाया। लांबा कहते हैं चुनौतियां अनेक थीं, क्योंकि उनका कद बहुत बड़ा था। इस केस का सबसे मजबूत पहलू नाबालिग पीड़िता के बयान थे। पीड़िता के बयान को साबित करने वाले सभी तथ्यों व सबूतों को सतर्कता के साथ जुटाया गया और चार्जशीट बहुत अच्छी बनाई गई। वह कहते हैं, 'मुझे गलत साबित करते हुए लड़की ने जोधपुर से लगभग 38 किलोमीटर दूर आसाराम के मणई गांव स्थित आश्रम का एकदम सटीक नक्शा बताया, जहां उसका शोषण किया गया था। तब लगा कि कोई व्यक्ति मौका-ए-वारदात का नक्शा बिना वहां जाए कैसे बता सकता है।' वहीं से उन्होंने जांच शुरू की। बाद में उन्हें पता चला कि मेरठ के एक परिवार ने भी स्थानीय पुलिस से आसाराम के खिलाफ ऐसी ही शिकायत की थी। जब वह उस परिवार से मिलने गए तब परिवार ने शिकायत करने से इनकार कर दिया। इस पर पुलिस का शक और गहरा हो गया।

ऐसे पकड़ा आसाराम को
पुलिस को बड़ी सफलता 31 अगस्त को लगी। लांबा बताते हैं, 'हमें आसाराम का कुछ पता नहीं था। फिर भी पांच पुलिस अफसरों और 6 कमांडो की एक टीम को इंदौर स्थित आश्रम भेजा गया। तभी जोधपुर में हमने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उसमें हमने कहा कि आसाराम हमारे रडार पर हैं। इस पर बौखलाकर कर आसाराम भोपाल एयरपोर्ट पर पहुंचे। हमने यह बात मीडियाकर्मियों को बता दी जो उनका पीछा करने लगे। आसाराम अपने इंदौर स्थित आश्रम में पहुंच गए लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि हमारी टीम भी शहर में है।'

मिले थे धमकी भरे 1,600 खत
लांबा फिलहाल एंटी करप्शन ब्यूरो में तैनात हैं। वह बताते हैं कि उन्हें 1,600 ऐसे खत मिले जिनमें लोगों ने जान से मारने की धमकी दी थी।


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