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झारखंड के पिछड़े जिले सिमडेगा में रोटी, सेहत व स्वच्छता को परवान दे रहीं महिलाएं

स्वच्छता और स्वास्थ्य और रोजगार से लेकर जागरूकता के तमाम अभियानों में ये महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 12:04 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 12:05 PM (IST)
झारखंड के पिछड़े जिले सिमडेगा में रोटी, सेहत व स्वच्छता को परवान दे रहीं महिलाएं
झारखंड के पिछड़े जिले सिमडेगा में रोटी, सेहत व स्वच्छता को परवान दे रहीं महिलाएं

वाचस्पति मिश्र, सिमडेगा। झारखंड के आदिवासी बहुल पिछड़े जिला सिमडेगा में करीब 70 हजार महिलाएं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से विकास की नई कहानी गढ़ रही हैं। इनके काम को लेकर प्रधानमंत्री का भी ध्यान यहां की महिलाओं पर गया है। ये महिलाएं न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर हो रही हैं बल्कि अपने काम से सरकार की योजनाओं को भी गति दे रही हैं। स्वच्छता और स्वास्थ्य और रोजगार से लेकर जागरूकता के तमाम अभियानों में ये महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। शौचालय निर्माण करनेवाली यहां की रानी मिस्त्रियों ने प्रधानमंत्री का भी ध्यान अपनी ओर खींचा था।

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समूह की महिलाएं यहां पुरुषों के काम वाले शौचालय निर्माण, कैफेटेरिया संचालन, फुटवियर निर्माण, सोलर लैंप की एसेंबलिंग से लेकर सरकार की दाल-भात योजना से लेकर राशन दुकान तक का संचालन कर रही हैं। ये 70 हजार महिलाएं झारखंड राज्य आजीविका मिशन के द्वारा बनाए गए सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हुई हैं। सरकार व बैंकों की मदद लेकर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।

जनाब रानी मिस्त्री कहिए
शहरों में राज मिस्त्री होते हैं। यहां रानी मिस्त्री हैं। ग्रुप की 2000 से अधिक महिलाओं ने रानी मिस्त्री के रूप में शौचालय निर्माण में योगदान कर चुकी हैं। उनके कार्यों की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। महिला राज मिस्त्री को रानी मिस्त्री का दर्जा जिले के उपायुक्त ने दिया था। बाद में अन्य जिलों ने भी इसे मॉडल के रूप में पेश किया।

हर क्षेत्र में है दखल
ग्रुप की महिलाओं ने आज जिले में स्वास्थ्य के लिए चलाए जा रहे अभियानों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार कर अपनी आर्थिक तरक्की की कहानी लिख रही हैं। कचहरी परिसर तथा सदर अस्पताल आदि इलाके में महिलाएं कैफेटेरिया अथवा कैंटीन सफलतापूर्वक चला रहीं हैं। जोकबहार में महिलाओं का समूह फुटवियर बनाने की धंधे से जुड़ चुकी हैं। पूर्व में सोलर लालटेन एसेंबलिंग का कार्य कर महिलाओं ने स्कूलों में खुद से चलकर सोलर लैंप पहुंचाए। महिला समूहों द्वारा प्रखंड स्तर पर मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र का भी बखूबी संचालन किया जा रहा है। सैकड़ों ग्रुप पीडीएस जैसे नाप-तौल वाले जटिल काम की जिम्मेवारी संभाल रहीं हैं। इधर महिलाओं के इस संगठित ग्रुप से जिला प्रशासन को भी कार्य को धरातल तक पहुंचाने में मदद मिल रही है। अब जिला प्रशासन भी इन महिलाओं के माध्यम से घर-घर तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने की योजना बना रहा है।

महिलाओं में है आगे बढऩे की ललक : डुंगडुंग
आजीविका मिशन के तहत नगर परिषद में कार्यरत प्रबंधक राहिल डुंगडुंग ने बताया कि जिले में महिलाओं में आगे बढऩे की ललक है। उन्हें और संसाधन मुहैया कराया जाए तो वे जिले के विकास के साथ-साथ अपनी समृद्धि में और इजाफा कर सकती हैं। आज कई ग्रुप की महिलाएं स्वरोजगार के माध्यम से मासिक चार हजार रुपये से अधिक अर्जित कर रही हैं। अपने गांव-घर में रहकर यह आमदनी उन्हें सुकून दे रहा है।

महिलाओं ने बढ़ाया सिमडेगा का मान : डीसी
जिले के उपायुक्त जटाशंकर चौधरी कहते हैं कि सिमडेगा जिले की महिलाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर सिमडेगा का मान बढ़ाया है। स्वच्छता के साथ-साथ अन्य कई क्षेत्रों में महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहीं है। उनके ऊर्जा को जिले के विकास की दिशा में प्रयोग किया जा रहा है। हमारी योजना सफल रही। आने वाले दिनों में उन्हें सशक्त बनाने के लिए अन्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा।


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