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दूसरों पर न हो निर्भरता, इसलिए युवतियां सीख रहीं अच्छी ड्राइविंग

राजधानी की बहुत सी महिलाएं व युवतियां दोपहिया वाहन चलाना सीखना तो चाहती थीं, लेकिन उन्हें उचित अवसर नहीं मिल रहा था। यह मौका सुलभ कराया है यातायात पुलिस ने। आफिस, घर व कालेज आदि से समय निकालकर पुलिस के इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रतिदिन 100 से ज्यादा युवतियां हिस्सा

By anand rajEdited By: Published: Sun, 18 Jan 2015 11:42 AM (IST)Updated: Sun, 18 Jan 2015 12:04 PM (IST)
दूसरों पर न हो निर्भरता, इसलिए युवतियां सीख रहीं अच्छी ड्राइविंग

नई दिल्ली (संजीव कुमार मिश्र)। राजधानी की बहुत सी महिलाएं व युवतियां दोपहिया वाहन चलाना सीखना तो चाहती थीं, लेकिन उन्हें उचित अवसर नहीं मिल रहा था। यह मौका सुलभ कराया है यातायात पुलिस ने। आफिस, घर व कालेज आदि से समय निकालकर पुलिस के इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रतिदिन 100 से ज्यादा युवतियां हिस्सा ले रही हैं। चार घंटे के ट्रेनिंग कार्यक्रम में हिस्सा लेकर ना केवल स्कूटी, बाइक चलाने के गुर सीख रही हैं, बल्कि नियम कायदों से भी रूबरू हो रही हैं। करीब डेढ़ साल में दो हजार से अधिक युवतियां प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं। यातायात पुलिस भी अपने इस अनूठे अभियान के सफल होने से उत्साहित है।

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बच्चे छोटे-छोटे हैं। इन्हें स्कूल छोड़ने के लिए अक्सर ऑटो या फिर बस का इंतजार करना पड़ता है। पति सुबह आफिस जाते हैं, इसलिए दिक्कत होती है। बस मैंने स्कूटी चलाना सीखने की योजना बनाई। प्राइवेट ट्रेनिंग स्कूल की महंगी फीस के कारण कई महीनों तक स्कूटी चलाना नहीं सीख पायी। इस बीच इसी जनवरी में मुझे ट्रैफिक ट्रेनिंग के बारे में जानकारी हासिल हुई। मैंने रजिस्ट्रेशन किया और बस यहां सीखने आ गई।

- बबीता, लक्ष्मीनगर

मैं रोहिणी में रहती हूं, लेकिन मे ऑफिस भाटी माइंस, छतरपुर में है। सुबह नौ बजे आफिस पहुंचना पड़ता है। काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए मैंने खुद ड्रइविंग सीखने की सोची। कुछ दोस्तों ने यातायात पुलिस की योजना के बारे में बताया तो ईमेल भेजकर रजिस्ट्रेशन करायी। फिलहाल कुछ दिनों से यहां आ रही हूं। - अनीता अरोड़ा, रोहिणी सेक्टर 9

अपना वाहन रहता है तो कहीं भी निकल जाओ। कालेज जाना भी आसान रहता है। बस इसलिए मैं ड्राइविंग सीखना चाहती थी। सागरपुर से इतनी दूर सिर्फ इसलिए आती हूं, क्योंकि यहां यातायात पुलिस के जवान ट्रेनिंग देते हैं।

- चेतना, सागरपुर, बीए थर्ड ईयर

मैं 11वीं में पढ़ती हूं। मेरे माता- पिता सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। कालेज आते - जाते बस में डर बना रहता है, इसलिए घर वालों की सलाह पर मैंने स्कूटी चलाना सीखना चाहा। यातायात पुलिस के ट्रैफिक ट्रेनिंग के बारे में जानकारी मिली तो दिसंबर में दाखिला लिया। अब तक यहां बैलेंस बनाना, नियम कानून एवं सड़क हादसे में घायल लोगों की मदद कैसे करें, बताया गया है।

- शिखा, निर्माण विहार

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