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महिला की आंखों से निकलते हैं खून के आंसू!

अक्सर उर्दू शायरी में खून के आंसू का जिक्र आता है। लेकिन राजस्थान के कोटा में रहने वाली 22 वर्षीय एक महिला हकीकत में इस दुर्लभ बीमारी से जूझ रही है। उसकी आंखों से आंसुओं के रूप में खारे पानी की जगह खून रिसता है। सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि लक्ष्या बैस इस दुर्लभतम बीमारी से पीड़ित देश की ऐसी तीसरी मरीज हैं।

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 07:05 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 07:05 PM (IST)
महिला की आंखों से निकलते हैं खून के आंसू!

कोटा। अक्सर उर्दू शायरी में खून के आंसू का जिक्र आता है। लेकिन राजस्थान के कोटा में रहने वाली 22 वर्षीय एक महिला हकीकत में इस दुर्लभ बीमारी से जूझ रही है। उसकी आंखों से आंसुओं के रूप में खारे पानी की जगह खून रिसता है।

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सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि लक्ष्या बैस इस दुर्लभतम बीमारी से पीड़ित देश की ऐसी तीसरी मरीज हैं। लक्ष्या का उपचार सरकारी महाराव भीम सिंह अस्पताल [एमबीए] में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉक्टर मनोज सलूजा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अपने कॅरिअर में पहली बार ऐसे किसी रोगी को देख रहे हैं। उन्होंने दावा किया लक्ष्या तीसरी ऐसी रोगी है, जो आंखों से स्वत: खून निकलने की दुर्लभतम बीमारी से जूझ रही है।

लखनऊ व कोलकाता में दो केसडॉ. सलूजा ने बताया कि इससे पहले दो रोगियों का लखनऊ और कोलकाता में इलाज किया गया था। इन दोनों मामलों का जिक्र चिकित्सा साहित्य में दर्ज है। तीसरा केस लक्ष्या का है। खून के आंसू निकलना, खून के थक्के जमने की बीमारी है। यह शरीर का वंशानुगत दोष है। इस दुर्लभतम बीमारी की जांच काफी महंगी है और इसके लिए सुविधाएं आसानी से मुहैया नहीं होती हैं।

महिला के पिता रतन सिंह कोटा के महिला पुलिस थाने में एसएचओ हैं। उन्होंने बताया कि इस दुर्लभ बीमारी का पहली बार पता इस साल 25 मई को चला जब उदयपुर में पढ़ने के दौरान लक्ष्या की आंखों से खून निकलने लगा और वह कुछ देर बाद बेहोश हो गई। इलाज के लिए उसे दिल्ली के एम्स, उदयपुर, जोधपुर, मुंबई, अहमदाबाद ले गए, लेकिन कहीं भी डॉक्टरों को उसकी बीमारी का उपचार नहीं कर सके। रतन सिंह ने बताया कि इन अस्पतालों की मेडिकल रिपोर्ट में लक्ष्या को सामान्य बताया गया है। लक्ष्या थोड़े समय के लिए ठीक हो गई थी। मगर, इस मंगलवार को उसकी आंखों से फिर खून बहने लगा, जिसके बाद उसे एमबीएस हॉस्पिटल ले गए थे।

खून के आंसू का इतिहाससोलहवीं सदी से डॉक्टरों के समक्ष खून के आंसू के रोगी आते रहे हैं। इसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में 'हेमोलेक्रिया' कहते हैं। वैसे अभी तक यह रहस्य ही बना हुआ है कि क्यों कुछ लोगों को खून के आंसू निकलते हैं। सबसे पहले सोलहवीं सदी में एक इतालवी डॉक्टर के समक्ष ऐसा केस आया था। डॉ.एंटोनियो ब्रासवोला ने लिखा है कि एक नन उनके पास उपचार के लिए आई थी। मासिक धर्म के समय उसकी आंखों से खून के आंसू निकलते थे। 1581 में एक फ्लेमिश डॉक्टर ने लिखा है कि सोलह साल की एक लड़की को मासिक धर्म के समय गर्भाशय के स्थान पर आंखों से रक्तस्राव होता था।

हॉर्मोन्स के कारणआधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यह रोग हॉर्मोन्स परिवर्तन के चलते होता है। 1991 में हेमोलेक्रिया पर किए गए शोध के अनुसार 18 प्रतिशत जनक्षम महिलाओं के आंसुओं में कुछ मात्रा में रक्त पाया गया। गर्भवती महिलाओं में इसका प्रतिशत 7 और पुरषों में 8 पाया गया। रजोनिवृति के बाद किसी महिला में ऐसे लक्षण नहीं मिले। इस अध्ययन के आधार पर डॉक्टरों ने यह निष्कर्ष निकाला कि हेमोलेक्रिया का कारण हॉर्मोन्स में परिवर्तन है।

अचानक ठीक हो जाता है रोगडॉक्टरों के अनुसार यह रोग जैसे यकायक शुरू होता है वैसे ही ठीक भी हो जाता है। इससे पीड़ित रोगी अधिकांश युवा होते हैं। हेमिल्टन आई इंस्टीट्यूट के जेम्स फ्लेमिंग के अनुसार जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है यह रोग धीरे-धीरे खत्म हो जाता है।

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