मलबे में दबी महिला का दर्द... मेरे दोनों हाथ काट दो भइया, मुझे बाहर निकालो
सिद्धि साई कोआपरेटिव सोसायटी की चार मंजिला इमारत मंगलवार सुबह ध्वस्त हो गई थी। हादसे में 17 लोग मारे गए।
मुंबई, प्रेट्र। मुंबई के उपनगरीय इलाके घाटकोपर में रिहाइशी भवन के मलबे में फंसी एक महिला ने कहा था कि इस मलबे से निकालने के लिए मेरे दोनों हाथ काट दो। कई घंटे चले राहत एवं बचाव में एनडीआरएफ की टीम को मलबे से 11 लोगों को जीवित निकालने में सफलता मिली है। सिद्धि साई कोआपरेटिव सोसायटी की चार मंजिला इमारत मंगलवार सुबह ध्वस्त हो गई थी। हादसे में 17 लोग मारे गए।
47 सदस्यीय राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवान जिस समय मलबे में जीवित लोगों की तलाश में जुटे थे उसी समय उन्हें एक महिला की दर्द में डूबी आवाज सुनाई दी। प्रज्ञा जडेजा नाम की इस 50 वर्षीया महिला ने कहा था, 'मेरे दोनों हाथों को काट दो भइया। मुझे जल्दी बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊंगी।'
राहत एवं बचाव में शामिल कांस्टेबल संतोष जाधव ने कहा, 'बहुत मुश्किलों के बाद हम पता लगाने में कामयाब हो सके कि जडेजा के दोनों हाथ ढह गई दीवारों के बीच फंसे हुए हैं। दोनों हाथ बुरी तरह से कुचल गए थे। विशाल आरसीसी ढांचे को काटा और उन्हें बाहर निकालने में हम कामयाब रहे।'
इसी तरह एक 20 वर्षीया महिला को भी बचाव दल ने मलबे के ढेर से बाहर निकाला। ढेर में दबी यह महिला भी सहायता के लिए पुकार रही थी।
बचाव दल के दूसरे सदस्य ने कहा, 'मलबे के ढेर में दबी महिला दर्द से कराह रही थी। हमने बड़े पिलर हटाए। भगवान से यही मनाते रहे कि ये पिलर महिला पर न गिर जाए। फिर हमने उसे निकाल लिया।'
इसी भवन में रहने वाले राजेश दोषी का मामला मलबे में फंसे लोगों का उदाहरण है। दोषी के पांव मलबे में फंस गए थे। भवन ध्वस्त होने के घंटों बाद शाम छह बजे उन्होंने अपने बेटे को मोबाइल फोन से सूचित किया। उन्होंने अपनी हालत बताने का प्रयास किया। करीब आठ घंटे बाद रात 2:45 बजे पता लगाया जा सका कि वह कहां फंसे हुए हैं।
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