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चार साल से बेटियों संग मायके में रह रही महिला, पति नए शहर में व्यापार जमाने को नहीं है तैयार

पत्नी ने कहा कि वह बेटियों के कारण समझौता कर रही है। सीहोर में पढ़ाई का अच्छा माहौल नहीं मिल पाता इसलिए भोपाल के एक बड़े निजी स्कूल में एडमिशन कराया है जिसका खर्च मायके वाले उठा रहे हैं। पति को मेरी नहीं तो बेटियों की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 06:32 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 06:32 AM (IST)
चार साल से बेटियों संग मायके में रह रही महिला, पति नए शहर में व्यापार जमाने को नहीं है तैयार
काउंसलिंग में पति हर माह 10 हजार रुपये भरण-पोषण राशि देने को हुआ तैयार।

भोपाल, जेएनएन। राजधानी भोपाल के कोलार क्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में पति के खिलाफ भरण-पोषण की मांग को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। उधर, सीहोर निवासी पति का कहना था कि पत्नी भोपाल में रहने का दबाव बना रही है, लेकिन राजधानी में नए सिरे से व्यापार जमाना मुश्किल है। मामले में प्राधिकरण ने समझौता कराया। काउंसलिंग में पति हर माह 10 हजार रुपये भरण-पोषण राशि देने और दोनों बेटियों की पढ़ाई-लिखाई, इलाज व शादी का खर्चा उठाने के लिए तैयार हो गया।

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दरअसल, महिला की शिकायत थी कि वह चार साल से पति से अलग मायके में रह रही है। उसकी 12 व 14 साल की दो बेटियां हैं। वह शादी के बाद कुछ सालों तक सीहोर स्थित ससुराल में रही लेकिन जब बेटियां बड़ी हुई तो उनकी अच्छी शिक्षा की खातिर पति से भोपाल आकर रहने के लिए कहा, लेकिन पति ने इंकार कर दिया। इसे लेकर घर में छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद होता रहता था, जिससे बेटियों पर गलत असर पड़ रहा था।

पति का तर्क, दूसरे शहर में व्यापार जमाना मुश्किल

पति ने काउंसलिंग में कहा कि वह सीहोर में जमा-जमाया व्यापार छोड़कर नहीं आ सकता। वहां से व्यापार खत्म कर भोपाल में जमाना मुश्किल है। सीहोर में भी अच्छे स्कूल हैं, जहां बेटियां पढ़ सकती हैं। सच यह है कि पत्नी शादी के बाद से ही मेरे घर वालों से सामंजस्य नहीं बिठा पाई। छोटी-छोटी बात पर भोपाल चली जाती थी।

बेटियों के कारण कर रही समझौता

पत्नी ने कहा कि वह बेटियों के कारण समझौता कर रही है। सीहोर में पढ़ाई का अच्छा माहौल नहीं मिल पाता, इसलिए भोपाल के एक बड़े निजी स्कूल में एडमिशन कराया है, जिसका खर्च मायके वाले उठा रहे हैं। पति को मेरी नहीं तो बेटियों की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। पत्नी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान की स्कूल फीस भरनी है, लेकिन पति ने परेशानी के बारे में पूछा तक नहीं।

भोपाल के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संदीप शर्मा ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया है। बेटियां मां के साथ रहेंगी, लेकिन उनका पूरा खर्च पिता देगा। साथ ही वह जब चाहे, पत्नी की अनुमति लेकर बेटियों से मिल सकता है। भविष्य में दंपती आपसी सहमति से तलाक भी ले सकते हैं।


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