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तितली, नरगिस, नीना...जानिए कैसे रखे जाते हैं तूफानों के अनोखे नाम

चक्रवातों के नाम रखने के लिए की एक पूरी अंतरराष्‍ट्रीय नियमावली है। कौन सा देश किस चक्रवात का नाम रखेगा, नाम किस आधार पर तय पर होंगे, आदि-आदि।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 03:53 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 08:45 AM (IST)
तितली, नरगिस, नीना...जानिए कैसे रखे जाते हैं तूफानों के अनोखे नाम
तितली, नरगिस, नीना...जानिए कैसे रखे जाते हैं तूफानों के अनोखे नाम

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ] । तितली, नरगिस, नीना, हुदहुद, फैलिन, कोरिंगा, हैफोंग, भोला ये नाम हैं। लेकिन ठ‍हरिए, ये नाम किसी मानव, जीव जंतुओं या वृक्षों के नहीं है। तो अब आप साेच रहे होंगे कि आखिर ये नाम किसके हैं। आइए हम आपको बताते हैं इन नामों की असलियत। दरअसल, ये नाम धरती पर तबाही मचाने वाले चक्रवातों की हैं। ये चक्रवात जो चंद घंटे के लिए धरती पर आते हैं और तबाही का बड़ा मंजर छोड़कर चले जाते हैं। लेकिन पीढ़‍िया इनको युगों तक याद करती हैं। अब एक और सवाल आपके मन में कौंध रहा होगा कि चक्रवातों का ये नाम रखता कौन है। दरअसल, चक्रवातों के नाम रखने के लिए की एक पूरी अंतरराष्‍ट्रीय नियमावली है। कौन सा देश किस चक्रवात का नाम रखेगा, नाम किस आधार पर तय पर होंगे,  आदि-आदि।

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1953 से वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन की पहल

दरअसल, चक्रवातों के नाम रखने की शुरुआत 1953 से हुई। इसके पहले इस अवधारणा का विकास नहीं हुआ था। 1953 से वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (डब्लूएमओ) और मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर ने चक्रवातों के नाम रखने की परंपरा शुरू की। डब्लूएमओ जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसी है। डब्लूएमओ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आने वाले चक्रवातों के नाम रखता आया है। लेकिन 2004 में डब्लूएमओ की अगुवाई वाली अंतरराष्ट्रीय पैनल को भंग कर दिया गया। इसके बाद देशों से अपने-अपने क्षेत्र में आने वाले चक्रवात का नाम ख़ुद रखने को कहा गया।

उत्तरी हिंद महासागर में बाद में शुरू हुई ये पहल

पहले उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा जाता था। जानकारों के मुताबिक इसकी वजह यह थी कि सांस्कृतिक विविधता वाले इस क्षेत्र में ऐसा करते हुए बेहद सावधानी की जरूरत थी ताकि लोगों की भावनाएं आहत होने से कोई विवाद खड़ा न हो। लेकिन बाद में हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर चक्रवातीय तूफानों को नाम देने की व्यवस्था शुरू की। इसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड को मिलाकर कुल आठ देश शामिल हैं।

पाकिस्तानी मौसम वैज्ञानिकों ने नाम दिया 'तितली'

हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर चक्रवात को नाम देने की व्यवस्था शुरू की। इन देशों के मौसम वैज्ञानिकों ने 64 नामों की सूची बनाई। हर देश की तरफ से आठ नाम थे। इस बार नामाकरण की बारी पाकिस्तान की थी। पाकिस्तान की ओर 'तितली' नाम प्रस्तावित था। इसलिए मौजूदा चक्रवात का नाम 'तितली' रखा गया। इसके बाद क्रमश: ओमान और म्यांमार की बारी है। 'तितली' के बाद आने वाले तूफान का नाम 'लुबान' होगा, जो ओमान के मौसम वैज्ञानिकों ने प्रस्तावित किया है। 'लुबान' के बाद आने वाले चक्रवाती तूफान का नाम 'दाए' होगा, जो म्यांमार के मौसम वैज्ञानिकों ने रखा।

इतनी सावधानी के बावजूद विवाद 

साल 2013 में 'महासेन' तूफान को लेकर आपत्ति जताई गई थी। श्रीलंका द्वारा रखे गए इस नाम पर इसी देश के कुछ वर्गों और अधिकारियों को ऐतराज था। उनके मुताबिक राजा महासेन श्रीलंका में शांति और समृद्धि लाए थे, इसलिए आपदा का नाम उनके नाम पर रखना गलत है। इसके बाद इस तूफान का नाम बदलकर 'वियारु' कर दिया गया।


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