देशद्रोह के आरोपी कश्मीरी छात्रों के केस नहीं लड़ने के मामले में बार एसोसिएशन का यू टर्न, जानें क्या है मामला
कर्नाटक के हुबली बार एसोसिएशन ने देशद्रोह का आरोप का सामना कर रहे 3 कश्मीरी युवकों का केस नहीं लड़ने का अपना प्रस्ताव वापस लिया।
हुबली, एएनआइ। देशद्रोह के आरोपित तीनों कश्मीरी छात्रों की तरफ से अदालत में पैरवी न करने संबंधी प्रस्ताव को कर्नाटक के हुबली बार एसोसिएशन ने वापस ले लिया है। उसने कहा है कि जो भी वकील आरोपितों की वकालत करना चाहता है, वह धारवाड़ प्रधान जिला न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है।
पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे का मामला
ज्ञात हो कि 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले की बरसी पर कर्नाटक के हुबली में तीन कश्मीरी छात्रों के पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने का मामला सामने आया था। विडियो वायरल होने पर नाराज लोगों ने कश्मीरी छात्रों की पिटाई की थी। बाद में पुलिस ने तीनों छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान बासित आशिक सोफी, तालिब माजिद व आमिर मोहीउद्दीन के तौर हुई थी। तीनों छात्र कश्मीर के शोपियां जिले के रहने वाले हैं। केएलई इंजीनियरिंग कॉलेज (KLES Institute of Technology) में अध्ययनरत तीनों छात्रों के खिलाफ सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में आइपीसी की धारा 124 के तहत केस दर्ज किया गया था।
इस मामले पर हुबली-धारवाड़ के पुलिस कमिश्नर ने कहा था कि जब हमें जानकारी मिली, तो हमने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और पुलिस स्टेशन ले आए हैं। बाद में तीनों कश्मीरी छात्रों को पुलिस ने बांड भरवाकर छोड़ दिया था।
पिछले सप्ताह तीनों आरोपितों को हुबली उप कारागार से बेगम हिंडलगा केंद्रीय कारागार भेज दिया गया। तीनों के खिलाफ गोकुल रोड थाने में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज है। वीडियो कॉलेज छात्रावास में बनाया गया था, जो इसी थानाक्षेत्र में आता है। 16 फरवरी के मामले में तीनों आरोपित 17 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिए गए थे।
छात्रों को CRPC की धारा 169 के तहत छोड़ा गया था
इस बारे में हुबली-धारवाड़ के पुलिस आयुक्त आर. दिलीप ने कहा था कि छात्रों को दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 169 के तहत छोड़ा गया है। आरोपितों ने यह बांड भरा है कि जब भी उन्हें समन किया जाएगा, वे पुलिस के समक्ष उपस्थित होंगे। जांच अधिकारी सीआरपीसी की धारा 169 का इस्तेमाल तब करता है, जब आरोपित को कोर्ट में पेश करने लायक उसके पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं होता।
कश्मीरी छात्रों को जमानत दिए जाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट पर पुलिस आयुक्त ने कहा कि वे भ्रमित हो गए हैं। यह मामला काफी संवेदनशील है और पुलिस इसे गंभीरता से ले रही है। इस मामले में हुबली बार एसोसिएशन ने देशद्रोह का आरोप का सामना कर रहे 3 कश्मीरी युवकों का केस नहीं लड़ने का फैसला किया था।