सब्सिडी से भारतीय खाद्य निगम पर बढ़ रहा कर्ज का बोझ, सुधार के तत्काल उपाय नहीं किए गए तो...
समय रहते इसका हल नहीं निकाला गया तो एफसीआई का काम बूरी तरह प्रभावित हो सकता है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सब्सिडी के बढ़ते बोझ के बीच देश की मुख्य अनाज खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। सबसिडी की वजह से ब़़ढ रहे कर्ज के कारण निगम की माली हालत बिगड़ती जा रही है। समय रहते इसका हल नहीं निकाला गया तो एफसीआई का काम बूरी तरह प्रभावित हो सकता है। वैसे अनाज खरीद प्रक्रिया अपने हिसाब से चलती रहेगी, क्योंकि चावल और गेहूं की खरीद के लिए फंड का इंतजात केंद्र सरकार करती है। ऐसे में कई विशेषषज्ञों का मानना है कि तत्काल सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाते तो निगम का वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है।
अधिकारियों के अनुसार यदि केंद्र 2019-20 के लिए सभी आवंटित सब्सिडी जारी कर देती है, तब भी मार्च 2020 तक अवैतनिक सबसिडी के तौर पर एफसीआई का बकाया 1,74,000 करोड़ रपए होगा। यह रकम वित्त वषर्ष 2019--20 के अंत तक राष्ट्रीय लघु बचत निधि (एनएसएसएफ) से बकाया ऋण के रूप में होगी । मार्च 2019 में यह बकाया राशि 1,91,000 करोड़ रपए थी। पिछले कुछ महीने से एनएसएसएफ के बकाया में तेज गिरावट आई है।
जरूरत और आवंटन में अंतर
वित्त वषर्ष 2019--20 की शुरआत में एफसीआई को सब्सिडी के रूप में 1,86,000 करोड़ रुपए की जरूरत थी। इसमें मूल राशि के पुनर्भुगतान के लिए 46,000 करोड़ रपए भी शामिल थे। हालांकि, बजट के तहत कुल आवंटन 1,51,000 करोड़ रपए का हुआ। 2019-20 में आवंटित खाद्य सबसिडी 1,84,000 करोड़ रपए थी।
इसमें एफसीआई का हिस्सा 1,51,000 करोड़ रपए है, जबकि बाकी खरीद कार्य के लिए राज्य का हिस्सा होता है। पहले से ही 35,000 करोड़ रपए का अंतर है। पूरे साल पहले भी ऑपरेशन शुरू हुए थे। बकाया राशि और अन्य देनदारियों को जोड़ने के बाद, 2019-20 के अंत में कुल सबसिडी 1,74,000 करोड़ रपए का होने की उम्मीद है।
2016-17 की शुरआत में एफसीआई 1,10,000 करोड़ रपए की सबसिडी की जरूरत थी, लेकिन वषर्ष के दौरान केंद्र की वास्तविक रिलीज 78,000 करोड़ रपए रही। शेषष 32,000 करोड़ रपए एनएसएसएफ से उधार ली गई। साल के दौरान जैसे-जैसे सब्सिडी की जरूरत ब़़ढती गई, इसकी भरपाई के लिए एनएसएसएफ से से लोन मिलते गए। नतीजतन 2016-17 के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर 70,000 करोड़ रपए हो गया। 2017—18 में एफसीआई को 1,17,000 करोड़ रपए की जरूरत थी, लेकिन वास्तविक आवंटन 62,000 करोड़ रुपए का हुआ।
सरकार ने ली आरबीआई की मदद
केंद्र सरकार ने अपने राजकोषीय घाटा पाटने के लिए आरबीआई से रकम ली है। खाद्य सब्सिडी (2016-17 से) का प्रबंधन करने के लिए एनएसएसएफ फंडों से भी मदद ली गई है। उससे पहले, अधिशेषष खाद्य सबसिडी को बजट का हिस्सा बना दिया गया दिया गया था। लेकिन, खुले रूप से खरीद और इस मुद्दे पर एक सीमा के कारण सब्सिडी बढ़ती रही
बॉन्ड और बैंकों से भी फंडिंग
एनएसएसएफ ऋणों के अलावा एफसीआई ने बॉन्ड के जरिए फंडिंग का इंतजमा किया और बैंकों से अल्पकालिक लोन भी उठाया है। उन पर लगने वाला ब्याज भी सरकार के सब्सिडी खाते में जुड़ जाता है। इसलिए 2018-19 के अंत में एनएसएसएफ से ऋण बढ़कर 1,91,000 करोड़ रपए तक पहुंच गया। कुल बकाया ऋण 2,40,000 करोड़ रपए से अधिक है, जिनमें से एनएसएसएफ ऋण का हिस्सा सबसे अधिक है ।