इस तकनीक की मदद से बिना बिजली के घर को रख सकेंगे ठंडा
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और मुंबई में जन्मे भारतवंशी आसवथ रमन के मुताबिक,रेडीएटिव स्काई कूलिंग तकनीक वातावरण की कुदरती विशेषता का लाभ लेती है।
बेंगलुरु (आइएएनएस)। एयर कंडीशन गर्मियों में घरों को ठंडा तो रखते हैं, लेकिन बिजली का बिल देख कर माथे पर पसीना आ जाता है। वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल खोज लिया है। उन्होंने रेडीएटिव स्काई कूलिंग नामक तकनीक ईजाद की है, जो गर्मी को पूर्णतया निष्क्रिय कर वातावरण में तापमान को इतना कम कर देती है कि मौसम ठंडा हो जाता है। नए कोटिंग मैटीरियल के जरिये इमारतों को कुदरती रूप से ठंडा रखा जा सकेगा।
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और मुंबई में जन्मे भारतवंशी आसवथ रमन के मुताबिक,रेडीएटिव स्काई कूलिंग तकनीक वातावरण की कुदरती विशेषता का लाभ लेती है। यदि आप इंफ्रारेड
रेडिएशन (अवरक्त विकिरण) के जैसे गर्मी को किसी बहुत ठंडी चीज में तब्दील कर सकते हैं, जैसा कि बाहरी अंतरिक्ष में होता है तो आप बिना बिजली इमारत को ठंडा रख सकते हैं।
सबसे अहम है सात परतों वाला मैटीरियल : एक बेहद महीन और कई परतों वाला मैटीरियल इस आविष्कार की सबसे अहम चीज है। रमन और उनके सहयोगियों एलीगोल्डस्टीन और शानुई फैन ने 2014 में इसे विकसित कर सबसे पहले इसकी जांच की थी। यह मैटीरियल सिलिकॉन डाइऑक्साइड और हाफनियम ऑक्साइड की सात परतों से बना है, जिसमें सबसे ऊपर चांदी की महीन परत है। यह एक समय में दो कार्य करने में सक्षम है।
पहला यह कि अदृश्य इंफ्रारेड (अवरक्त) गर्मी को रोककर उसे ठंडे बाहरी अंतरिक्ष में तब्दील करता है (यानी एक हीट सिंक की तरह कार्य करता है)। दूसरा, यह मैटीरियल उसी समय आने वाली सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट (परावर्त) कर देता है, जो इमारत को गर्म कर देती है। इस तरह यह मैटीरियल रेडिएटर (विकिरक) और बेहतरीन आईने दोनों की तरह काम करता है। इसी के परिणाम स्वरूप यह एयर कंडीशनर के बिना या कम इस्तेमाल के भी इमारत को ठंडा रखने में सक्षम है।
-वैज्ञानिकों ने रेडीएटिव स्काई कूलिंग नामक तकनीक विकसित की
-इमारतों को कुदरती रूप से ठंडा रखेगा नया कोटिंग मैटीरियल
यूनिवर्सिटी की छत पर लगाया
रमन के मुताबिक, इस मैटीरियल की आंतरिक संरचना विकिरण अवरक्त किरणों को अंतरिक्ष में गुजरने देती है। वह भी इमारत के पास की हवा को गर्म किए बिना। उन्होंने कहा, 2014 में हमने देखा कि एक ऐसी ऑप्टिकल सतह तैयार की जा सकती है जो गर्मी के दिनों में भी शीतल प्रभाव डालने में सक्षम है। इसके बाद इस प्रणाली की कई बार जांच की। इसके लिए कोटेड पैनल तैयार किया और उस पर इस मैटीरियल को लगाया। इसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की छत पर लगाया और बहते पानी से जोड़ा। इस प्रणाली से पानी का तापमान तीन से पांच डिग्री सेल्सियस कम हो गया।
भारतीय बाजार की बदल देगा सूरत
रमन के मुताबिक, हम इस तकनीक के व्यावसायिक प्रयोग की तैयारी में है। एक स्टार्टअप के रूप में पायलट प्रोजेक्ट कैलीफोर्निया में शुरू हो गया है। भारतीय बाजार में हमारी यह प्रणाली सुपरमार्केट में व्यावसायिक रेफ्रीजरेटर, कोल्ड स्टोरेज, डाटा सेंटर, कार्यालयों की इमारतों, मॉल्स और व्यावसायिक इमारतों में प्रयोग की जा सकेगी। हम इसके घरेलू स्तर पर प्रयोग के लिए भी अध्ययन कर रहे हैं।
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