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'कांग्रेस मुक्‍त भारत' का नारा देने वाली BJP के निशाने पर अब हैं क्षेत्रीय पार्टियां

ओडिशा में भाजपा राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के अंतिम दिन पार्टी का लक्ष्‍य आने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में राज्‍य में पार्टी को मजबूत करना होगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 16 Apr 2017 04:03 PM (IST)Updated: Sun, 16 Apr 2017 04:08 PM (IST)
'कांग्रेस मुक्‍त भारत' का नारा देने वाली BJP के निशाने पर अब हैं क्षेत्रीय पार्टियां
'कांग्रेस मुक्‍त भारत' का नारा देने वाली BJP के निशाने पर अब हैं क्षेत्रीय पार्टियां

नई दिल्‍ली (एएनआई)। ओडिशा में हो रही भाजपा की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के अंतिम दिन आज पीएम मोदी की अध्‍यक्षता में भाजपा राज्‍य समेत पूरे देश के लिए 'कांग्रेस मुक्‍त भारत' के अपने अभियान पर ही आगे बढ़ने का एलान करेगी। भाजपा के बढ़ते विजय रथ की चिंता राज्‍य सरकार और उसके मुखिया नवीन पटनायक को भी जरूर है। कांग्रेस मुक्‍त भारत का नारा देने वाली भाजपा के अगले निशाने पर अब राज्यों में मौजूद क्षेत्रीय पार्टियां ही हैं, जिनको उखाड़ने के लिए भाजपा अपना कदम आगे बढ़ा रही है।

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कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में काफी पीछे धकेल देने वाली भाजपा यहां से अपने मिशन 2019 को आगे बढ़ाने की बात करेगी। हाल ही में राज्‍य में हुए पंचायत चुनाव में भी भाजपा को यहां पर जीत हासिल हुई है। राज्‍य की सत्‍ताधारी पार्टी बीजू जनता दल पूर्व में केंद्र भाजपा की गठबंधन पार्टी भी रह चुकी है। वर्ष 2008 में दोनों ने अपने रास्‍ते अलग कर लिए थे। यहां पर हो रही राष्‍ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक इसलिए भी अहम है क्‍योंकि 2019 में राज्‍य विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं।

इस बैठक में पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष समेत करीब 300 नेता इसमें शामिल हुए हैं। यहां पर हो रही यह बैठक यह दर्शाने के लिए भी काफी है कि भाजपा अपने मिशन 2019 पर चल पड़ी है। यह मिशन लोकसभा के साथ-साथ राज्‍य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी है। भाजपा ने वर्ष 2004 यहां पर 32 सीट जीती थीं। वहीं 2009 में वह महज छह सीटों पर सिमट गई थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में उसकी स्थिति कुछ बेहतर हुई थी और वह दस सीटों पर विजय पाने में कामयाब हुई थी। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा यहां पर कुछ खास नहीं कर पाएंगे।

गौरतलब है कि ओडिशा में करीब 23 फीसद आदिवासी हैं। वहीं करीब 24 फीसद आबादी अनुसूचित जाती की भी है। भाजपा की पूरी कोशिश इन्‍हें अपने खेमे से जोड़ने की होगी ताकि राज्‍य की 147 सीटों वाली विधानसभा में अपनी जीत साबित कर सके। भाजपा अभी तक पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी बेहतर प्रदर्शन नहीं सकी है। यहां पर क्षेत्रिय पार्टियों का कब्‍जा अब भी बरकरार है।

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