चीन पर नजर रखने के लिए आईएनएस विक्रमादित्य माले रवाना
इंडियन ओशियन रीजन में चीन की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत ने मालदीव के साथ हाथ मिलाया है।
नई दिल्ली। भारतीय समुद्रिक क्षेत्र (इंडियन ओशियन रीजन यानी IOR) में चीन की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत ने मालदीव के साथ हाथ मिलाया है।
इस क्रम में भारत ने अपनी सक्रियता बढ़ाने के लिए अपने सबसे बड़े और क्षमता की दृष्टि से सबसे प्रभावी आईएनएस विक्रमादित्य, विध्वंसक पोत आईएनएस मैसूर, टैंकर आईएनएस दीपक को मालदीव भेजा है।
मालदीव के साथ मैत्रीपूर्ण संकेत के तहत श्रीलंका के बाद अब वहां अपने प्रमुख एयरक्राफ्ट को भेजा है। भारत के समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा देने के आश्वासन के तहत यह कदम उठाया गया है। आईएनएस विक्रमादित्य को सबसे पहले मैत्री संबंधों के तौर पर 21-22 जनवरी को श्रीलंका भेजा गया था।
इसी कड़ी में 15 से 18 फरवरी के दौरान एक अन्य एशियाई राष्ट्र मालदीव भी कुछ एयरक्राफ्ट भेजे जा रहे हैं। मिशन से जुड़े अधिकारी ने बताया कि समुद्री सीमा से लगे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों भारत की प्राथमिकता है। यह पहल उसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
हालांकि, भारत की समुद्री कूटनीति के तौर पर इस कदम को देखा जा रहा है। IOR में चीन के बढ़ते प्रभाव की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने प्रोजेक्ट मौसम शुरू किया है। पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट और श्रीलंका हमबनटोटा पोर्ट पर चीन सक्रिय है।
इसके साथ ही वह IOR में अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टि से मालदीव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है, जहां से समुद्री क्षेत्र में भारत अपनी सक्रियता बढ़ाने के साथ चीन पर नजर भी रख सकता है।
90 के दशक में अंतरराष्ट्रीय सत्ता टकराव के बाद द्वीप समूहों के इस देश के साथ भारत की कुटनीतिक साझेदारी फिलहाल अच्छी दिशा में आगे बढ़ रही है। भारत मालदीव में 10 कोस्टल सर्विलेंस रडार सिस्टम स्टेशन की स्थापना में सहयोग करेगा।