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खड़ी फसलों पर सोना बनकर बरस रही इस सीजन में बारिश की बूंदे, किसानों की हुई बल्ले-बल्ले

इस सीजन की बारिश से खाद्यान्न की कुल पैदावार भी बहुत बढ़ेगी। इससे स्पष्ट है कि कृषि क्षेत्र की विकास दर में सुधार होना तय है

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 09:23 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 09:26 PM (IST)
खड़ी फसलों पर सोना बनकर बरस रही इस सीजन में बारिश की बूंदे, किसानों की हुई बल्ले-बल्ले
खड़ी फसलों पर सोना बनकर बरस रही इस सीजन में बारिश की बूंदे, किसानों की हुई बल्ले-बल्ले

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। खेती के लिहाज से पूरे साल रहा शानदार मौसम और सरकारी प्रयासों के चलते कृषि क्षेत्र की विकास दर में और सुधार होने का अनुमान है। हाल के दिनों में नवंबर और अब जनवरी में हो रही बारिश से शहरी आबादी भले ही ठिठुरन महसूस कर रही हो, लेकिन किसानों के चेहरे खिल गए हैं। बारिश की बूंदें खेतों में खड़ी फसलों पर सोना बनकर बरस रही हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इन महीनों में होने वाली बारिश से खेती की लागत घट जाती है।

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मंगलवार को जारी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के पहले एडवांस एस्टीमेट में कृषि क्षेत्र की विकास दर को 2.8 फीसद का अनुमान लगाया गया है। यह पिछले साल के मुकाबले 0.1 फीसद कम है। जबकि कृषि मंत्रालय का कहना है कि कृषि क्षेत्र में सरकार के प्रयासों और पूरे सालभर मौसम की बेहतर चाल से इसके प्रदर्शन में शानदार सुधार होने का अनुमान है।

केंद्रीय कृषि आयुक्त सुरेश मल्होत्रा का कहना है, 'चालू फसल वर्ष में मानसून की अच्छी बारिश जहां खरीफ की पैदावार बढ़ी है, वहीं मानसून के देर तक सक्रिय रहने की वजह से मिट्टी में पर्याप्त नमी है। इससे रबी फसलों के बोआई रकबा में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है।' खाद्यान्न की कुल पैदावार भी बहुत बढ़ेगी। इससे स्पष्ट है कि कृषि क्षेत्र की विकास दर में सुधार होना तय है

बोआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक रकबा छह करोड़ हेक्टेयर पर पहुंच चुका है, जो पिछले साल अब तक 5.6 करोड़ हेक्टेयर था। इसमें अभी और वृद्धि होगी। गेहूं का बोआई रकबा 3.16 करोड़ हेक्टेयर हो चुका है, जो पिछले साल केवल 2.86 करोड़ हेक्टेयर था। अगैती गन्ना और आलू से खाली होने वाले खेतों में पिछैती गेहूं बोआई अभी जारी है। दलहनी फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले 60 हजार हेक्टेयर अधिक हो चुका है। इसमें चना का बोआई रकबा 98 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल रकबा 93 लाख हेक्टेयर था। हालांकि सरसों जैसी प्रमुख तिलहन की खेती में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। असिंचित क्षेत्रों की मिट्टी में बढ़ी नमी का फायदा रबी की खेती के लिए मुफीद साबित हुआ है।

गेहूं व जौ अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉक्टर जीपी सिंह ने बीते नवंबर और फिर इन दिनों हो रही बारिश के बारे में बताया, 'इन दिनों की बारिश खेतों में खड़ी रबी फसलों के लिए सोने की बूंदों की तरह हैं। इससे गेहूं समेत अन्य दलहनी व तिलहनी फसलों की दो सिंचाई का पैसा बचा है।' उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के असिंचित क्षेत्रों में रबी फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हो जाएगी। इस बार गेहूं की उत्पादकता भी बढ़ेगी, जिससे कुल पैदावार 11 करोड़ टन की रिकार्ड स्तर को छू सकती है। यह पिछले साल के गेहूं उत्पादन 10 करोड़ टन से लगभग एक करोड़ टन ज्यादा होगा।


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