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राष्ट्रपति का पद दलीय राजनीति से ऊपर होता है:रामनाथ कोविंद

कोविंद ने कहा देश और पूरी दुनिया अच्छी तरह से भारतीय संविधान और भारतीय लोकतंत्र की सर्वोच्चता से अवगत है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Tue, 04 Jul 2017 04:46 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jul 2017 07:16 PM (IST)
राष्ट्रपति का पद दलीय राजनीति से ऊपर होता है:रामनाथ कोविंद
राष्ट्रपति का पद दलीय राजनीति से ऊपर होता है:रामनाथ कोविंद

पीटीआई, हैदराबाद। राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का कहना है कि राष्ट्रपति के कार्यालय को राजनीति से दूर रहना चाहिए। उनका कहना है कि वह इसके लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं, क्योंकि उनकी कोई राजनीतिक प्रतिबद्धता नहीं है।

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बकौल कोविंद वह भाजपा में रहे जरूर पर अब इस दल से उनका संबंध नहीं है। बिहार के राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने के बाद वह किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े। उनका कहना है कि राष्ट्रपति सेना के सुप्रीम कमांडर भी होते हैं। यानि देश की सुरक्षा व संप्रभुता का दायित्व उन पर होता है, इसलिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि इस पद पर बैठने वाला व्यक्ति राग द्वेष से परे रहे। वह निष्पक्ष हो और राष्ट्रहित में फैसले लेने की हिम्मत रखता हो। उनमें ये खूबी हैं।

कोविंद ने इस दौरान टीआरएस के अध्यक्ष व तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से मुलाकात की। वह वाईएसआर कांग्रेस व टीडीपी के नेताओं से भी मिले। भाजपा के सांसद व विधायक भी इस दौरान उपस्थित रहे। कोविंद ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर व बाबू जगजीवन राम को हराने की पटकथा कई बार इसी पार्टी के दफ्तर में तैयार की गई।

यह लड़ाई विचारधारा की नहीं: वैंकेया

रामनाथ कोविंद के साथ में हैदरबाद पहुंचे केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि कुछ लोग राष्ट्रपति चुनाव को विचारधारा की लड़ाई बता रहे हैं, लेकिन यह गलत है। राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होने के साथ सशस्त्र सेनाओं का कमांडर होता है। उसके पास कोई शक्ति नहीं है। वह केवल सलाह दे सकता है और वो भी एक बुजुर्ग की तरह से। उनका कहना था कि विचारधारा की लड़ाई 2014 में हुई थी। तब जनता ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास जताया था। उनका कहना था कि कोविंद इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं। बिहार के राज्यपाल के रूप में उनकी कार्यप्रणाली को लोग देख चुके हैं।

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