मध्य प्रदेश में स्कूली बच्चों को 'आनंद सभा' के जरिये सिखाएंगे 'हैप्पीनेस' के गुर
संस्थान की ओर से शिक्षकों को दी गई पुस्तक आनंद सभा में बच्चों को सिखाने के तौर-तरीके भी समझाए गए हैं।
भोपाल, नईदुनिया। मध्य प्रदेश के शासकीय और निजी स्कूलों में नौवीं से 12वीं कक्षा के बच्चों को 'आनंद सभा' के जरिये 'हैप्पीनेस' के गुर सिखाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत स्कूलों में सप्ताह में एक दिन मूल विषयों के साथ जीवन मूल्यों की नैतिक शिक्षा भी दी जाएगी। सरकार की सोच है कि इससे बच्चों में क्षमा, स्वीकार्यता, कृतज्ञता, दया-करुणा और 'जॉय आफ गिविंग' जैसे गुण विकसित किए जा सकेंगे।
राज्य आनंद संस्थान ने प्रदेश के शासकीय और निजी स्कूलों के पाठ्यक्रम की समीक्षा के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि बच्चों को उनके मूल विषयों के साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना भी जरूरी है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के साथ संस्थान ने काम शुरू कर दिया है।
दो महीने पहले शिक्षकों को इस संबंध में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को संस्थान के विशेषज्ञों ने कहानी और रोचक खेलों के जरिये बच्चों को सिखाए जाने वाले नैतिक मूल्यों की जानकारी दी। संस्थान की ओर से शिक्षकों को दी गई पुस्तक 'आनंद सभा' में बच्चों को सिखाने के तौर-तरीके भी समझाए गए हैं।
निजी स्कूलों का भी होगा पंजीयन
सूत्रों का कहना है कि स्कूलों में पहले जिस तरह 'बाल सभा' होती थी, उसी तर्ज पर आनंद सभा का 13 सप्ताह का पाठ्यक्रम रखा गया है। हर शनिवार को यह पीरियड लगाया जाएगा। निजी स्कूलों का भी इसके लिए पंजीयन कराने की योजना बनाई गई है। सभी बच्चों को गाइड बुक भी वितरित की जाएगी।
बच्चों का विकास
स्कूलों में 'आनंद सभा' के माध्यम से बच्चों में सकारात्मकता का विकास करने का प्रयास है। साथ ही उनमें क्षमा, आत्मविश्वास, दया और करुणा जैसे गुणों का विकास करने का उद्देश्य भी है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग से चर्चा हो चुकी है।- सत्यप्रकाश, सलाहकार, राज्य आनंद संस्थान