क्या होगा रिया का, कोर्ट से मिलेगी जमानत या जेल में ही बीतेंगे पूरे 14 दिन, जानें एक्सपर्ट व्यू
निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद रिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब उनकी निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हैं।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले में मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती निचली अदालत से जमानत न मिल पाने की वजह से बीते पांच दिनों से जेल में हैं। शुक्रवार 11 सिंतबर को उनकी जमानत याचिका को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। एनडीपीएस की विशेष अदालत ने उन्हें 8 सिंतबर को 14 दिनों कीन्यायिक हिरासत में भेजा था। उसी दिन इसी अदालत में रिया के वकील ने जमानत याचिका भी दायर की थी जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया था। निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब उनके पास केवल दो विकल्प बचे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन दो विकल्पों में से कहीं उन्हें जमानत मिलने में कामयाबी हासिल होगी या फिर उन्हें 14 दिन मुंबई की भायखला जेल में ही बिताने होंगे। गौरतलब है कि एनसीबी ने रिया को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) की धारा 8c, धारा 20b, धारा 27A, धारा 28 और 29 के तहत गिरफ्तार किया है। इन सभी में कम से कम दस वर्ष की सजा का प्रावधान है।
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील हरि प्रकाश आदित्य मानते हैं कि जिन धाराओं के तहत रिया को आरोपी बनाया गया है वे सभी काफी संगीन है। यही वजह है कि इनमें आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल होता है। रिया के पास अब हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है। यहां जाने से पहले उन्हें अच्छी तैयारी करनी होंगी। रिया के वकील को कुछ नई दलीलें हाईकोर्ट में देनी होंगी। क्योंकि जिन दावों को निचली अदालत नहीं मान रही है उन्हें मुमकिन है कि हाईकोर्ट भी ज्यादा तवज्जो न दे। यदि वहां से भी उनकी जमानत याचिका खारिज हो जाती है तो सुप्रीम कोर्ट अंतिम विकल्प बचता है। ये विकल्प आखिरी भी है और कुछ मुश्किल भी है।
आदित्य का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट से भी रिया को जमानत नहीं मिलती है तो उन्हें 14 दिनों तक जेल में ही रहना होगा। न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें दोबारा एनडीपीएस की विशेष कोर्ट के समक्ष पेश किया जएगा। यहां पर एनसीबी उन्हें दोबारा न्यायिक हिरासत में भेजने की अपील कर सकती है। इसके स्वीकार या खारिज करने पर ही वो जेल से बाहर आ सकेंगी। उनके मुताबिक सीआरपीसी की धारा 167 के तहत किसी भी आरोपी को एक बार में 14 दिनों से अधिक जेल में नहीं रखा जा सकता है। इस अवधि के बाद उसको जज के सामने प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। उनके मुताबिक एनडीपीएस एक्ट के तहत छह माह के अंदर चार्जशीट फाइल करनी होती है। आदित्य के मुताबिक इस मामले में अभी जांच शुरुआती दौर में हैं ऐसे में कोर्ट से जमानत मिलना मुश्किल होता है। हाईप्रोफाइल मामलों में ये इसलिए भी मुश्किल होता है क्योंकि वहां पर सुबूतों से छेड़छाड़ की संभावना अधिक होती है।
एक नजर में
- 8 सितंबर को हुई पूछताछ के लिए बुलाया।
- शाम करीब 4:30 बजे रिया हुई गिरफ्तार।
- शाम 4:45 बजे सायन अस्पताल में हुई मेडिकल जांच
- शाम 6:40 बजे कोविड-19 की रिपोर्ट नेगेटिव आई।
- रिया को वापस एनसीबी ऑफिस ले जाया गया।
- शाम 7:30 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जज के समक्ष पेश किया गया।
- रात 9:50 बजे पर कोर्ट ने रिया को 14 दिनों (22 सितंबर तक के लिए) की न्यायिक हिरासत में भेजा।
- रिया के वकील ने दायर की जमानत याचिका, कोर्ट ने किया खारिज।
- 11 सितंबर को निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज।