क्या थाईलैंड में छिपे गोवा क्लब मालिकों का होगा प्रत्यर्पण? संधि क्या कहती है?
लूथरा बंधुओं के खिलाफ सात दिसंबर को लुक आउट सर्कुलर नोटिस जारी कराने के बाद सीबीआइ ने इंटरपोल के माध्यम से थाईलैंड की सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क कर द ...और पढ़ें

क्या थाईलैंड में छिपे गोवा क्लब मालिकों का होगा प्रत्यर्पण? संधि क्या कहती है?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरी गोवा के अरपोरा गांव स्थित नाइटक्लबबर्च बाय रोमियो लेन में आग लगने से 25 लोगों की मौत हो जाने के मामले में गोवा पुलिस अजय गुप्ता नाम के एक अन्य व्यवसायी की तलाश में भी एनसीआर में उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
रविवार को अरपोरा के रोमियो लेन के पास बर्च में आधी रात को आग लगने की घटना के कुछ ही घंटों बाद, दोनों भाई सोमवार को तड़के सुबह की उड़ान से थाईलैंड के फुकेट भाग गएथे।
एफआईआर दर्ज होने के बाद बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू होने पर मालिकों के भागने का पता चला। जाँच के दौरान, इमिग्रेशनरिकॉर्ड से पता चला कि दोनों ने रविवार सुबह 5:30 बजे इंडिगो की फ्लाइट 6E 1073 से फुकेतके लिए उड़ान भरी थी।
लूथरा बंधुओं ने दिल्ली, गोवा और हरियाणा के यमुना नगर सहित कई शहरों में रोमियो लेन श्रृंखला का निर्माण किया था, जब दिल्ली में उनका पहला उद्यम, नाइटक्लबमामाजबुओई, बहुत सफल रहा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लूथरा द्वारा इतनी जल्दी बाहर निकल जाना उनकी "पुलिस जांच से बचने की मंशा" को दर्शाता है।
उधर, लूथरा बंधुओं के खिलाफ सात दिसंबर को लुक आउट सर्कुलर नोटिस जारी कराने के बाद सीबीआइ ने इंटरपोल के माध्यम से थाईलैंड की सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क कर दोनों भाइयों के बारे में जल्द जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। इंटरपोल ने लूथरा बंधुओं के खिलाफ ब्लू नोटिस जारी किया है।
ब्लू नोटिस का मतलब आरोपितों की पहचान, उनकी लोकेशन और गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाना होता है। इंटरपोल ने फुकेट पुलिस से कहा है कि वे लूथरा बंधुओं को पकड़कर जल्द हिरासत में ले लें और इसकी सूचना गोवा पुलिस को दें।
अब तक क्लब के मुख्य महाप्रबंधक राजीव मोदक, महाप्रबंधक विवेक सिंह, बार मैनेजर राजीव सिंघानिया और गेट मैनेजर रियांशु ठाकुर को गिरफ्तार किया जा चुका है। भारत के पास आरोपी भाइयों की हिरासत पाने के लिए 2013 में थाईलैंड के साथ हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि का सहारा लेने का भी विकल्प है।
संधि क्या कहती है?
भारत और थाईलैंड के बीच प्रत्यर्पण संधि एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा है, जो दोनों देशों को आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय अपराधों और आर्थिक अपराधों में शामिल वांछित अपराधियों को एक-दूसरे को सौंपने में मदद करता है।
संधि के अनुसार, भारत में प्रत्यर्पण का निर्णय लेने वाला केंद्रीय प्राधिकारी विदेश मंत्रालय है, जबकि थाईलैंड के लिए यह प्राधिकारी अटॉर्नी जनरल है। संधि में कहा गया है कि प्रत्येक संविदाकारी राज्य राजनयिक माध्यमों से केन्द्रीय प्राधिकरण में किसी भी परिवर्तन की सूचना दूसरे संविदाकारी राज्य को देगा।
संधि में प्रावधान
- संधि उन व्यक्तियों के प्रत्यर्पण का प्रावधान करती है जो किसी एक 'अनुबंधकारी राज्य' द्वारा मुकदमे के लिए, या सजा लागू करने या प्रवर्तन के लिए वांछित हैं और दूसरे 'अनुबंधकारी राज्य' के क्षेत्र में पाए जाते हैं।
- संधि के अनुसार, दोनों देश अपने नागरिकों को एक-दूसरे को प्रत्यर्पित कर सकते हैं।
- कुछ निश्चित आधारों पर प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है, जैसे कि यदि अपराध को राजनीतिक अपराध माना जाता है।

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