क्या कोरोना के दक्षिण अफ्रीकी ओमीक्रान वैरिएंट पर प्रभावी होंगे मौजूदा टीके? विशेषज्ञों ने कही यह बात
दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना के नए वेरिएंट बी.1.1.1.529 ने एक बार फिर से सनसनी मचा दी है। विशेषज्ञों ने इस वैरिएंट को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं। आइए डालते हैं इन सुझावों पर एक नजर ...
नई दिल्ली, एजेंसियां। दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना के नए वेरिएंट बी.1.1.1.529 ने एक बार फिर से सनसनी मचा दी है। विशेषज्ञों को लगता है कि यह कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से भी तेजी से फैलता है और वैक्सीन से मिली प्रतिरक्षा को भी चकमा दे सकता है। हालांकि वैज्ञानिक इसके घातक प्रभावों को लेकर अध्ययन कर रहे हैं। भले ही अध्ययन के नतीजे देर से आए लेकिन दुनिया के तमाम मुल्कों ने अभी से बचाव को लेकर तमाम कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने इस वैरिएंट को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं। आइए डालते हैं इन सुझावों पर एक नजर...
अभी इंतजार करने की जरूरत
आइसीएमआर में महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डा. समीरन पांडा ने कहा कि हमें यह पता लगाने के लिए अभी इंतजार करने की जरूरत है कि क्या कोरोना के नए वैरिएंट से मामले बढ़ रहे हैं या बीमारी से अत्यधिक मौतें हो रही हैं। इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए WHO ने इसे वेरियंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है।
तब टीके नहीं करेंगे काम
डा. समीरन पांडा ने कहा कि नए वैरिएंट में संरचनात्मक परिवर्तन देखे गए हैं जो ज्यादा संचरण की संभावना के संकेत दे रहे हैं। टीके किस तरह की प्रतिरक्षा पैदा करते हैं और वायरस कैसा बर्ताव कर रहा है इसे सामने आने में अभी वक्त लगेगा। एमआरएनए टीके स्पाइक प्रोटीन और रिसेप्टर इंटरैक्शन से निर्देशित होते हैं, इसलिए बदलाव को समझने की आवश्यकता है।
...तब टीके नहीं करेंगे काम
डा. समीरन पांडा ने कहा कि सभी टीके एक जैसे नहीं होते... कोविशील्ड और कोवैक्सीन हमारे सिस्टम के लिए एक अलग एंटीजन तरीके की प्रतिरक्षा उत्पन्न करते हैं। इस वैरिएंट पर टीके कितने प्रभावी है यह कुछ समय बाद ही पता चल सकेगा। कुछ वायरस स्पाइक प्रोटीन की ओर से निर्देशित होते हैं जो रिसेप्टर से जुड़ जाते हैं। इसलिए यदि वहां बदलाव होता है तो टीके प्रभावी नहीं हो सकते हैं...
पहले टीकाकरण जरूरी
वहीं एम्स दिल्ली में कोविड टास्क फोर्स के चेयरपर्सन डा. नवीत विग का कहना है कि हमें यह समझना होगा कि नए वेरिएंट आते रहेंगे। ऐसे में सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जानी बेहद जरूरी है। नवीत ने बूस्टर डोज की जरूरत बताते हुए कहा कि यदि संक्रमण बढ़ता है तो आने वाले दिनों में विभिन्न आयु समूहों और अलग-अलग तरह के रोगियों के आधार पर बूस्टर डोज की जरूरत होगी।
टीका लगवाने के बाद भी बरतनी होगी सावधानी
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि देशों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से आने वाले संक्रमण के जोखिम का आकलन करना चाहिए और इससे बचाव के हर संभव कदम उठाना चाहिए। यही नहीं संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक उपायों को जारी रखना चाहिए। यही नहीं टीका लगवाने के बाद भी सभी लोगों को सावधानी बरतनी होगी।
ब्रिटिश वैज्ञानिक बोले- नया वैरिएंट कोई बड़ी आपदा नहीं
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक ब्रिटेन के शीर्ष विज्ञानियों ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस का नया वैरिएंट कोई बड़ी आपदा नहीं है। सूक्ष्म जीवविज्ञानी प्रोफेसर कैलम सेंपल ने कहा कि टीकाकरण से मिलने वाली प्रतिरक्षा आपको गंभीर बीमारी से बचा सकती है। आक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के निदेशक प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि नया स्वरूप टीकाकरण से बचने में सक्षम होगा।
नाक बहने और सिरदर्द से ज्यादा असर नहीं
पीटीआइ के मुताबिक टीकाकरण पर ब्रिटिश सरकार के वरिष्ठ सलाहकार सर जान बेल ने कहा कि टीका लगवा चुके लोगों पर वायरस के नए स्वरूप का असर नाक बहने और सिरदर्द से अधिक नहीं हो सकता। इस बीच, दक्षिण अफ्रीका के विज्ञानी बिजली की रफ्तार से फैल रहे ओमीक्रोन से निपटने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। सोविटोज बरगवनथ अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई की प्रमुख रूडो मैथिवा ने कहा, हम कोरोना के रोगियों की जनसांख्यिकीय पहचान में उल्लेखनीय परिवर्तन देख रहे हैं।