शहीद सीओ की पत्नी ने ओएसडी का पद ठुकराया
देवरिया [जागरण संवाददाता]। प्रतापगढ़ के कुंडा में मारे गए डीएसपी जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए ओएसडी [विशेष कार्य अधिकारी] का पद लेने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने उन्हें डीएसपी बनाने का आश्वासन दिया था। इसलिए उन्हें इससे कम कोई भी पद मंजूर नहीं है। वह इस संबंध में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र भी लिखेंगी तथा जरूरत पड़ने पर उनसे मिलकर भी अपनी बात कहेंगी।
देवरिया [जागरण संवाददाता]। प्रतापगढ़ के कुंडा में मारे गए डीएसपी जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए ओएसडी [विशेष कार्य अधिकारी] का पद लेने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने उन्हें डीएसपी बनाने का आश्वासन दिया था। इसलिए उन्हें इससे कम कोई भी पद मंजूर नहीं है। वह इस संबंध में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र भी लिखेंगी तथा जरूरत पड़ने पर उनसे मिलकर भी अपनी बात कहेंगी।
चार मार्च को डीएसपी का शव उनके गांव नूनखार के जुआफर लाए जाने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने कैबिनेट सहयोगी मो.आजम खां के साथ शाम को वहां पहुंचे थे। उन्होंने डीएसपी की पत्नी एवं पिता को 25-25 लाख का चेक सौंपते हुए उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया। इसमें परवीन सहित परिवार के पांच लोगों को नौकरी देने की मांग भी शामिल थी। बताया गया कि मुख्यमंत्री ने परवीन को डीएसपी रैंक तथा अन्य लोगों को उनकी योग्यता के अनुरूप नौकरी देने का आश्वासन दिया।
शासन ने अगले ही दिन मुख्यमंत्री के आश्वासन के अनुरूप नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी। आनन फानन परिवारीजन का बायोडाटा मंगाया गया। जांच के बाद गुरुवार को परवीन को सीओ जैसी सुविधा प्रदान करते हुए पुलिस विभाग में ओएसडी कल्याण के पद पर नौकरी देने का आदेश जारी कर दिया गया। डीएसपी के भाई सोहराब को सिपाही कल्याण की नौकरी देने का आदेश निर्गत हुआ।
शनिवार को परवीन आजाद ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें डीएसपी बनाने का आश्वासन दिया था। इसलिए ओएसडी पद स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता। सरकार यदि नौकरी देना चाहती है तो डीएसपी बनाए। इस पद के लिए वह योग्य भी हैं।
सीधे डीएसपी नहीं बना सकती सरकार
लखनऊ [जाब्यू] प्रतापगढ़ के बलीपुर में मारे गये सीओ कुंडा जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को सरकार ने विशेष कार्याधिकारी [ओएसडी] का ओहदा देकर डीएसपी के वेतनमान के समकक्ष तैनाती की है, लेकिन परवीन आजाद को ओएसडी का पद मंजूर नहीं है और वह डीएसपी पद पर तैनाती चाह रही हैं। जानकारों का कहना है कि सरकार सीधे डीएसपी पद पर किसी को तैनात नहीं कर सकती है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है डिप्टी एसपी लोकसेवा आयोग का पद है और सरकार इस पर सीधे नियुक्ति नहीं कर सकती है। निरीक्षकों को प्रोन्नति देकर जब डीएसपी पद पर तैनाती दी जाती है, तब भी उनकी प्रोन्नति शासन नहीं करता है। प्रक्रिया लोकसेवा आयोग से पूरी की जाती है। ऐसे में परवीन आजाद की मांग पूरी होना संभव नहीं लग रहा है। पहले भी ऐसी स्थितियों में अधिकारियों की पत्िनयों को ओएसडी का ही दर्जा दिया गया है। कई अफसरों की हत्या हुई, जिनकी पत्नियों को राज्य सरकार ने विशेष कार्याधिकारी के रूप में नियुक्त किया। 1991 में नैनीताल में डिप्टी एसपी रामआसरे यादव की जिप्सी आतंकवादियों ने उड़ा दी। यादव मारे गये। सरकार ने उनकी पत्नी संजू यादव को विशेष कार्याधिकारी के पद पर तैनात किया है। प्रतापगढ़ में मारे गये एसपी शेषनाथ पाण्डेय की पत्नी को भी विशेष कार्याधिकारी ही बनाया गया है।
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