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वैक्‍सीन पासपोर्ट को कारगर रणनीति नहीं मानता है विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन, जानें- इसके बारे में सब कुछ

इजरायल ने वैक्‍सीन पासपोर्ट जारी करने की शुरुआत की थी। इसको पाने वाले व्‍यक्ति को कोरोना संक्रमण से मुक्‍त माना गया था। लेकिन विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन इस तरह के कंसेप्‍ट को कारगर मानने से साफतौर पर इनकार करता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 03:55 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 04:01 PM (IST)
वैक्‍सीन पासपोर्ट को कारगर रणनीति नहीं मानता है विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन, जानें- इसके बारे में सब कुछ
डब्‍ल्‍यूएचओ प्रवक्‍ता का कहना है कि कारगर रणनीति नहीं है वैक्‍सीन पासपोर्ट

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। एक वर्ष गुजरने के बाद भी पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। कोरोना महामारी का असर पूरी दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ा है। इससे बचने के लिए देशों ने न सिर्फ अपनी सीमाओं को खोला बल्कि तमाम तरह के व्‍यवसायिक प्रतिष्‍ठान समेत दूसरे ऑफिस भी खोल दिए हैं। इसके बाद भी हर देश को इस बात की आशंका भी है कि इससे उसको नुसान भी उठाना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए वैक्‍सीन पासपोर्ट का कंसेप्‍ट सामने आया है।

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दरअसल, ये एक डिजिटल दस्तावेज होता है जिसको आप अपना हेल्थ कार्ड भी कह सकते हैं। इसमें कोरोना वैक्सीनेशन से जु़ड़ी सभी जानकारी होंगी। जैसे आपने कब वैक्‍सीनेशन करवाया है या नहीं। ये पूरी तरह से डि‍जिटल सर्टिफिकेट के तौर पर काम करता है। कोरोना वैक्‍सीन की डोज लेने वाले व्‍यक्ति पर ये ग्रीन पास के रूप में दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि आप स्‍वस्‍थ्‍य हैं या नहीं। इसको जरूरत पड़ने पर आप होटल, रेस्तरां, होटल या अन्‍य किसी सार्वजनिक स्‍थान पर दिखा सकते हैं। इजरायल ऐसा पहला देश है जिसने इसकी शुरुआत की है। इजरायल में इसको दिखाने पर सार्वजनिक जगहों पर जाया जा सकता है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक थाईलैंड में भी इसकी शुरुआत जल्‍द हो सकती है। लेकिन विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन इसको कारगर नहीं मानता है।

इसका जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्‍ता डॉक्‍टर मार्गेट हैरिस के पास है। उनका कहना है कि ये जरूरी नहीं है कि कोविड-19 की वैक्‍सीन की दो खुराक देने से ये महामारी पूरी तरह से खत्‍म हो जाएगी या फिर इससे संक्रमण को रोका जा सकेगा। इसलिए यात्रा की अनुमति के तौर पर वैक्‍सीन पासपोर्ट को जारी करना कोई प्रभावशाली रणनीति नहीं है। उन्‍होंने कहा कि फिलहाल संगठन इस तरह के पासोर्ट को किसी भी देश में जाने के तौर पर एक दस्‍तावेज की अनिवार्यता के तौर पर नहीं देख रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि हम इस बारे में पूरी तरह से आश्‍वस्‍त नहीं है कि वैक्‍सीन संक्रमण से बचाव करती भी है या नहीं।

संगठन के प्रवक्‍ता का कहना था कि ये प्रभावशाली रणनीति इसलिए भी नहीं है क्‍योंकि अभी तक सभी को वैक्‍सीन उपलब्‍ध नहीं करवाई जा सकती है। अब भी दुनिया में कई लोग इससे काफी दूर हैं। संगठन वैक्‍सीन की आपूर्ति किए जाने का इंतजार कर रहा है, जिससे वह तेजी से वैक्‍सीन उन देशों में पहुंचा सके जहां इनकी ज्‍यादा जरूरत है। उन्‍होंने ये भी कहा कि इस महामारी ने दुनिया भर की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी है। इस महामारी से वो सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं जो पहले से ही समाज के अंतिम छोर पर थे और विभिन्‍न तरह से भेदभाव का शिकार थे। विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर उन्‍होंने कहा कि अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।

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