जानिए क्यों, बार-बार हो रहे रेल हादसेे
आखिर क्या वजह है कि बार बार रेल हादसे हो रहे हैं । आइए इन हादसों की पड़ताल में जाएं...
नई दिल्ली, जेएनएन। कभी कानपुर रेल हादसा तो कभी आंध्र में हीराखंड एक्सप्रेस दुर्घटना। मुश्किल से दो माह भी नहीं गुजरते और फिर रेल मंञालय हरकत में तो आता है, लेकिन केवल जांच कमेटी गठित करने तक। जब तक जांच रिपोर्ट आती है एक और हादसा सामने आ जाता है। आखिर क्या वजह है कि बार बार रेल हादसे हो रहे हैं । आइए इन हादसों की पड़ताल में जाएं...
रेलवे ट्रैक में फ्रेक्चर
ट्रैक में फ्रेक्चर का पता लगानेे के लिए नियमित जांच होती है। हर मेन लाइन जो ट्रंक रूट पर है, इन पर अल्ट्रासोनिक वॉल डिटेक्शन होता है। हर महीेने रेलगाड़ियों के चलने से छोटे मोटे जो भी क्रैक आते हैं उनकी जांच की जाती है। माइक्रो लेवल स्तर की खामियों का भी पता चल जाता है। दूसरे रूटों पर यह डेढ़ दो महीने के बाद होता है। ट्रैक की जांच में जब लापरवाही होती है तो कई मासूम याञियों को जान गंवानी पड़ती है।
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ट्रैक पर बढ़़ता लोड़ और तेज गति
भारतीय रेलवे ट्रैक पर पिछले कुछ समय से लोड बढ़ता जा रहा है। ट्रैफिक के अलावा ज्यादा माल ढुुलाई भी एक वजह है। भारत में रोजाना सवा करोड़ से ज्यादा यात्री ट्रेन में सफर करते हैं और 80 लाख टन से अधिक सामान ढोया जाता है। कई रेलवे ट्रैक ऐसे हैं जिनपर लकड़ी के पुराने स्लिपर डाले गए हैं। ऐसे में हमेशा हादसे होने का डर बना रहता है। यही नहीं, तेज गति भी कई बार हादसों का कारण बनती है और रेलवे के कुछ लोगों की लापरवाही का खामियाजा यात्रियों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ता है।
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रेलवे में निवेश की कमी
भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह देश के हर क्षेत्र को एक दूसरे से जोड़़ता है, लेकिन सुरक्षा काे लेकर रेलवे में जितना निवेश होना चाहिए, नहीं हो रहा। भारत में दस हजार से भी ज्यादा मानवरहित क्रासिंग और ट्रैक की सुरक्षा के लिए गश्त के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं हैं।