National Milk Day: देश में दूध का सर्वाधिक उत्पादन के बावूजद दूध में होती है मिलावट, जानिए, क्यों
दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बावजूद यहां मात्र 20 फीसद दूध की ही प्रोसेसिंग हो पाती है। जबकि लक्ष्य 50 फीसद का था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 'देश में दूध का सर्वाधिक उत्पादन होता है, फिर भी दूध में सबसे ज्यादा मिलावट होती है। यह बात किसी की भी समझ से परे है।' इसी बात को उठाते हुए केंद्रीय पशुपालन व डेयरी राज्यमंत्री प्रताप सारंगी ने आश्चर्य और हैरानी जताई। सारंगी मंगलवार को यहां राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने परस्पर विरोधी आंकड़ों पर भी सवाल उठाये और कहा 'इतना दूध.. तब भी प्रति व्यक्ति खपत बहुत कम क्यों है? एक्सपोर्ट के नाम पर मात्र एक फीसद दूध विदेशों में भेजा जाता है। गुणवत्ता का स्तर बहुत दयनीय है।
मिलावटी दूध को लेकर पशुपालन व डेयरी मंत्री चिंतित
सारंगी ने कहा 'घरेलू दूध में डिटरजेंट क्यों मिलाया जाता है। हर ओर मिलावटी दूध मिल जाता है।' पशुपालन व डेयरी राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने इस पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा 'दूध की क्वालिटी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसी इमेज बनती जा रही है कि हर कोई दूध की क्वालिटी को लेकर सशंकित रहता है। इस इमेज को सुधारने के लिए हाथ के हाथ दूध की शुद्धता जांचने की व्यवस्था होनी चाहिए।'
मात्र 20 फीसद दूध की ही प्रोसेसिंग
डॉक्टर बालियान ने कहा 'दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बावजूद यहां मात्र 20 फीसद दूध की ही प्रोसेसिंग हो पाती है। जबकि लक्ष्य 50 फीसद का था।' इस धीमी गति पर उन्होंने चिंता जताई। उन्होंने कहा 'अब कुछ अलग करने की जरूरत है, नहीं तो अलग मंत्रालय बनाने का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।' इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि उसने अपना दरवाजा नहीं खोला तो रिसर्च को आक्सीजन नहीं मिलेगी और हालत बिगड़ जाएगी।
गिरिराज सिंह ने मंत्रालय की सुंदर तस्वीर दिखाई
केंद्रीय पशुधन व डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह दुग्ध क्षेत्र की चिंताओं पर कुछ ठोस कहने के बजाय मंत्रालय की सुंदर तस्वीर दिखाते रहे। आंकड़े पेश कर बताया कि भैंस व गायों की वृद्धि दर 6.41 फीसद हो गई है जो पहले 4.1 फीसद थी। सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र में पैदा होने वाले गेहूं व चावल का मूल्य जहां लगभग चार लाख करोड़ रुपये का आंका गया है, वहीं दूध का उत्पादन छह लाख करोड़ रुपये से अधिक होता है। हालांकि सिंह ने आवारा पशुओं की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि सिर्फ दूध उत्पादन की सोच की वजह से यह कठिनाई पैदा हुई है। जबकि गोरक्षा में गोमूत्र, गोबर और अन्य लाभ की गिनती नहीं की जाती है।