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आप भी जानिए आखिर लोरी सुनकर क्‍यों आने लगती है बच्‍चों को नींद

अध्ययन में तीन साल से कम आयु के बीमार बच्चों को शामिल किया गया था। इस अध्ययन में चौंकाने वाले नतीजे सामने आये हैं। जानें, कौन सी हैं हिंदी की प्रसिद्ध लोरियां।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 12:09 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 01:31 PM (IST)
आप भी जानिए आखिर लोरी सुनकर क्‍यों आने लगती है बच्‍चों को नींद
आप भी जानिए आखिर लोरी सुनकर क्‍यों आने लगती है बच्‍चों को नींद

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। बच्चों को लोरी सुनाकर सुलाने का तरीका सदियों पुराना है। लगभग सभी लोग इससे वाकिफ भी हैं। हालांकि लोरी सुनकर बच्चे क्यों सो जाते हैं ये अब तक पहेली बना हुआ था। अब इसकी वैज्ञानिक वजह पता चली हैं। नए अध्ययन में लोरी के और भी फायदों की जानकारी मिली है, जो बताती है कि लोरी आपके बच्चे के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।

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नए अध्ययन में पता चला है कि संगीत का बच्चों पर इतना गहरा प्रभाव होता है कि यह दर्द कम करने में भी मददगार साबित होता है। इससे बच्चों में दर्द और चिंता कम हो जाती है। ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट अस्पताल में किया गया हालिया शोध में इस बात का जवाब तलाशने का प्रयास किया गया है कि लोरी का बच्चों पर क्या और कैसा प्रभाव पड़ता है। क्या लोरी एक लाइव संगीत की तरह उन्हें सुकुन पहुंचाता है या बच्चे को एक व्यस्क की मौजूदगी का एहसास कराता है, जिससे वह आराम की नींद सोता है।

तीन साल से कम आयु के बच्चों पर हुआ अध्ययन
अध्ययन में तीन साल से कम उम्र के 37 बच्चों को शामिल किया गया जो दिल या श्वांस की समस्या से ग्रसित हैं। सभी बच्चों पर 10-10 मिनट के तीन सत्र में अध्ययन किया गया। पहला जिसमें उनके हावभाव देखते हुए कुछ समय बिताया गया। दूसरा जिसमें उन्हें लोरी सुनाई गई और तीसरा सत्र जिसमें उन्हें अकेला छोड़ दिया गया था। इस अध्ययन में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। लोरी वाले सत्र में बच्चों के दिल की धड़कन और दर्द के एहसास में अभूतपूर्व कमी देखी गई।

मां ने साझा किए अपने अनुभव
अध्ययन में शामिल एक बीमार बच्ची की मां ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया ‘मैं खुद इसके (लोरी के) सकारात्मक असर की साक्षी हूं। मेरी बेटी पेट दर्द की समस्या से पीड़ित है और मुझे याद है जब मैंने उसे अपने कंधे पर लिटाकर एक टूटी-फूटी लोरी गाते हुए कुछ देर तक धीरे-धीरे टहलना शुरू किया तो इसका उस पर काफी सकारात्मक असर दिखा। थोड़ा वक्त लगा, लेकिन मेरी बेटी को लोरी पसंद आई, उसे आराम मिला और थोड़ी देर में वह सो गयी।’

इसलिए पहला शब्द मां निकलता है
इस अनुभव से पता चलता है कि लोरी बच्चे के शरीर विज्ञान, मन की स्थिति और बाहरी दुनिया के बीच एक सुखद संबंध स्थापित करता है। लोरी सुनते ही बच्चे के मन में एक सुखद भावना का संचार होता है। लोरी की संगीतमय लय उनके दिल की धड़कन के करीब होती है और संगीतमय आवाज उन्हें राहत प्रदान करती है। हाल के वर्षों में हुए अन्य अध्ययन से पता चलता है कि बच्चों के लिए लोरी, आंतरिक और बाहरी दुनिया में समन्वय स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। मां की आवाज स्वयं में बच्चों के लिए एक सुखद एहसास की तरह है। शायद यही वजह है कि बच्चे बोलने की शुरुआत बहुत धीमी आवाज में मां शब्द के साथ करते हैं। दुनिया में बहुत सी जगहों पर नन्हें बच्चों के मुंह से निकलने वाला मां शब्द मा-मा का एहसास कराता है।

इस तरह से बाल मस्तिष्क को प्रभावित करता है संगीत
वेलकम ट्रस्ट के न्यूरोलॉजिस्ट टिम ग्रिफिथ्स के अनुसार मस्तिष्क में एक प्राचीन हिस्सा होता है, जो संगीत के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए जिम्मेदार होता है। मस्तिक का यह भावनात्मक हिस्सा संगीत से प्रभावित होता है। यह मस्तिष्क में उत्तेजना के स्तर को कम करता है और बदले में उनके दर्द के एहसास को कम करता है। कुछ लोग इस पर सवाल खड़े कर सकते हैं, लेकिन ऐसे कई अध्ययन हैं, जो इस रिपोर्ट को सपोर्ट करते हैं। कई अन्य अध्ययनों में भी बताया गया है कि संगीत हमारे दिलों-दिमाग पर किस तरह से सकारात्मक और सुकुन भरा एहसास पैदा करता है। संगीत का यही कनेक्शन बच्चों की लोरी के साथ भी है।


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