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..तो क्या प्रियंका गांधी के आशियाने ने रोके रामनाथ कोविंद के कदम

बिहार के राज्यपाल रहते रामनाथ कोविंद को नहीं मिली थी राष्ट्रपति निवास देखने की अनुमति’

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 01:57 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 06:28 PM (IST)
..तो क्या प्रियंका गांधी के आशियाने ने रोके रामनाथ कोविंद के कदम
..तो क्या प्रियंका गांधी के आशियाने ने रोके रामनाथ कोविंद के कदम

प्रकाश भारद्वाज, शिमला। बिहार के राज्यपाल के रूप में करीब बीस दिन पहले पत्नी समेत शिमला आए रामनाथ कोविंद अपनी शादी की सालगिरह के लम्हों को जिस तरह सहेजना चाहते थे, वह स्थान बतौर राष्ट्रपति बहुत जल्द उनका हो जाएगा, इसका इल्म भले ही उस वक्त उन्हें न रहा हो।

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हालांकि, राष्ट्रपति भवन का दीदार न कर पाने का मलाल उन्हें जरूर हुआ होगा। कारण यही था कि इस भवन में किसी के आने पर रोक यूं तो राष्ट्रपति सचिवालय के आदेशानुसार लगाई जाती है, लेकिन असल में इस क्षेत्र में ही प्रियंका गांधी के सपनों का महल भी बन रहा है। इसी कारण मार्ग पर बड़ा गेट लगा दिया गया है, ताकि कोई जा न सके।

तब कोविंद बिहार के राज्यपाल थे और अपने परिवार के साथ यहां घूमने आए थे। उस वक्त सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें जाने नहीं दिया। वहां तैनात जूनियर इंजीनियर का कहना था कि सुरक्षा के दृष्टिगत ही लोगों को रोका जाता है। हालांकि, सच यह है कि गांधी परिवार भी यहां अक्सर घूमने आया करता था। कुछ वर्ष पूर्व प्रियंका ने यहां जमीन ले ली। तब तक यहां ज्यादा रोक-टोक नहीं थी, लेकिन माना जा रहा है कि जैसे-जैसे प्रियंका का मकान बनता गया, वैसे-वैसे रोकटोक बढ़ती गई।

दरअसल हिमाचल के राज्यपाल देवव्रत के न्योते पर कोविंद शिमला आए थे। दोनों को राज्यपाल बनाए जाने की अधिसूचना एक ही दिन जारी हुई थी। वह प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से भी एक साथ मिले। 29 मई को रामनाथ कोविंद और 30 को देवव्रत आचार्य की शादी की सालगिरह थी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत कहते हैं, ‘मेरी शादी की सालगिरह 30 को थी। मैं तब बाहर गया हुआ था, लेकिन वह मेरे यहां राजभवन में ही रुके थे। मैंने अपने दफ्तर से किसी की ड्यूटी उनके साथ लगाई थी। वह तो बस यूं ही घूमने निकले थे, वहां परमिट की व्यवस्था थी, इस पर बात की जा सकती थी।’

वास्तव में रामनाथ कोविंद और हिमाचल खासतौर पर मंडी-कुल्लू एक दूसरे के लिए अपरिचित नहीं हैं। 2012 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनके पास पांच आरक्षित हलकों का कार्यभार था। लिहाजा वह 20 दिन कुल्लू और मंडी में रहे। उन दिनों वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे। उस समय उनके साथ लगातार 20 दिन रहे भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष लाल सिंह देशबंधु कहते हैं, ‘बेहद मृदुभाषी व सरल रामनाथ कोविंद के साथ काम करना गौरव की बात है।

उन्होंने पांचों क्षेत्रों का विस्तृत भ्रमण कर लोगों से संपर्क किया। आनी से आते हुए मौसम खराब हो गया था और बर्फबारी से जोत की सड़क खराब हो जाने से वह वहां फंस गए थे। काफी मशक्कत के बाद ही वह वहां से निकल पाए थे, लेकिन चेहरे पर शिकन नहीं थी।’

हिमाचल प्रदेश कोली समाज के अध्यक्ष रोशन लाल डोगरा बताते हैं, ‘पिछले महीने रामनाथ कोविंद कोली समाज ने भी उन्हें बुलाया था। उन्हें कोली समाज की ओर से सम्मानित भी किया गया था। होटल हॉली डे होम में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने प्रदेश में दलित समुदाय के संदर्भ में प्रदेश कोली समाज की सराहना की थी। उनकी सादगी और सरलता मन को छूने वाली है। सवाल उठता है कि राष्ट्रपति निवास को अभी तक डेढ़ सदी पहले के नियमों से क्यों चलाया जा रहा है।

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