राजीव गांधी के हत्यारे की पैरोल का विरोध क्यों कर रही सरकार : हाई कोर्ट
मद्रास हाई कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब तमिलनाडु कैबिनेट सभी की रिहाई की सिफारिश कर चुकी है तो पैरोल का विरोध क्यों कर रही है।
चेन्नई, प्रेट्र। मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब तमिलनाडु कैबिनेट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सातों हत्यारों को रिहा करने की सिफारिश कर चुकी है तब वह एजी पेरारिवलन की पैरोल का विरोध क्यों कर रही है।
जस्टिस एन. किरुबाकरन व जस्टिस वीएम वेलुमणि ने लोक अभियोजक ए. नटराजन से कहा, 'आपकी कैबिनेट ने जब सभी को एक साथ रिहा करने की सिफारिश की है तब एक महीने की पैरोल अर्जी का आप विरोध क्यों कर रहे हैं? सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध न करें।' इस पर लोक अभियोजक ने कहा कि पैरोल का उचित आधार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेरारिवलन को पिछले साल पैरोल मिली थी। कारागार नियमों के अनुसार किसी कैदी को अगली पैरोल तीन साल बाद ही मिल सकती है।
उन्होंने कहा, 'कारागार के डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि वह कई बीमारियों से जूझ रहा है, लेकिन उसका इलाज चल रहा है। अभी उसकी स्थिति स्थिर है।' याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में पैरोल का प्रावधान है। इस पर लोक अभियोजक ने कहा कि बीमारी के आधार पर पैरोल का कोई प्रावधान नहीं है।
लोक अभियोजक की दलील पर पीठ ने सवाल किया कि क्या बीमारी विशेष परिस्थिति नहीं होती? अगर बीमारी के आधार पर पैरोल का प्रावधान नहीं है तो ऐसा नियम निरर्थक है। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार व याचिकाकर्ता को राजीव गांधी हत्याकांड की निगरानी करने वाली एजेंसी व सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।