अमेरिका में बनी स्नाइपर राइफल एम-24 को कौन सी तकनीक बनाती है घातक, जानें खूबियां
दूर तक का निशाना साधने के लिए अमेरिका में बनी स्नाइपर राइफल एम- 24 दूरबीन समेत अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होती है। इसके अलावा दूसरी खूबियां भी इसे घातक बनाती हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमरनाथ यात्र मार्ग पर अमेरिका निर्मित स्नाइपर राइफल एम- 24 के मिलने की घटना ने किसी बड़ी आतंकी वारदात की आशंका खड़ी कर दी। साथ ही हर किसी में इसके बारे में ज्यादा-जानने समझने का कौतूहल भी पैदा कर गई। स्नाइपर राइफल का इस्तेमाल लंबी दूरी पर मौजूद लक्ष्य को साधने के लिए करते हैं। इसे सधा हुआ निशानेबाज ही चला सकता है। दूर तक का निशाना साधने के लिए इसमें दूरबीन समेत अत्याधुनिक तकनीक होती है। इसके अलावा दूसरी खूबियां भी इसे घातक बनाती हैं।
एम-24 की खूबियां
अमेरिका निर्मित स्नाइपर राइफल एम- 24 रेमिंगटन मॉडल 700 का उन्नत रूप है। खासतौर पर इसे अमेरिकी सेना के लिए स्नाइपर वीपन सिस्टम के रूप में 1980 में विकसित किया गया। 1988 में थल सेना में शामिल किया गया। यह एक किलोमीटर तक निशाना साध सकती है, लेकिन 800 मीटर तक सटीक निशाना साधती है। 5.4 किग्रा की इस राइफल की लंबाई 1092 मिमी है। बैरल की लंबाई 660 से 686 मिमी तक है।
अमेरिका की बैरेट एम 82
इसे बैरेट फायरमैन मैन्युफैरिंग कंपनी ने 1982 में बनाकर तैयार की। दुनिया के 60 से अधिक देशों में इस्तेमाल होती है। लंबाई 120 सेंमी और वजन 14 किग्रा। मारक क्षमता 1800 मीटर तक है।
चार किमी है रूस की एसवीएलके-14 सुमराक की मारक क्षमता
यह अब तक की सबसे मारक राइफलों में से एक है। इसे रूस की निजी हथियार निर्माता कंपनी जार पुष्का ने तैयार किया है। 1.5 मीटर लंबी बैरल की इस राइफल में 10.3 एमएम की गोली पड़ती है। 900 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से गोली निकलती है। पांच सेकेंड से कम समय ही दुश्मन को ढेर करने में सक्षम है।
भारत ने भी बनाई है स्नाइपर राइफल
अब भारत के पास खुद की बनाई स्नाइपर राइफल है, जिसे पश्चिम बंगाल के ईशापुर में आयुध फैक्ट्री में तैयार किया गया है। 7.62 एमएम की इस इस राइफल की कीमत 2.5 लाख रुपये है। वजन 6.7 किलोग्राम और 800 मीटर तक मार सकती है। वहीं, जर्मनी की एच एंड एन की कीमत इससे तीन गुनी है। इसका वजन 7.2 किग्रा और मारक क्षमता 500 मीटर ही है।
दुनिया की पहली स्नाइपर राइफल
लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम व्हिटवर्थ राइफल दुनिया की पहली स्नाइपर राइफल है। इसे ब्रिटिश इंजीनियर सर जोसेफ व्हिटवर्थ ने डिजाइन किया था। 1857 में इसका पहली बार परीक्षण किया गया। मारक क्षमता 1.4 किमी की इस राइफल का अमेरिकन सिविल वार में पहली बार इस्तेमाल हुआ। 1.2 मीटर की इस राइफल की बैरल 840 मिमी है।
पाकिस्तानी सेना करती है इस्तेमाल
एक अकेली स्नाइपर राइफल ही दुश्मनों पर भारी पड़ सकती है। पाकिस्तानी सेना अमेरिका निर्मित स्नाइपर ही इस्तेमाल करती है। भारतीय सेना पहले जर्मनी में निर्मित हेक्लर एंड कोच स्नाइपर राइफल का इस्तेमाल करती है। अमेरिका से खरीदकर एम 24 राइफल का इस्तेमाल पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान, ब्राजील, हंगरी, जॉर्जिया, जापान, लेबनान, फिलीपींस की सेनाएं भी करती है।
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