Hearing in Supreme: कोर्ट में मुकदमों का लगा अंबार, पहले किसकी याचिका हो लिस्ट; इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली
Hearing in Supreme सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता वकील द्वारा उठाए गए सवाल पर मामले की सुनवाई टालते हुए रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह दाखिल हुई याचिकाओं का क्रम जांच कर मामले को मंगलवार को सुनवाई पर लगाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोर्ट में मुकदमों का अंबार लगा है। त्वरित निपटारे के लिए विभिन्न फोरम से सुझाव दिए जा रहे हैं। इसके लिए कार्य योजनाएं भी बनाई जाती हैं। लेकिन, तब क्या हो जब कोई मुकदमा सुनवाई पर लगा हो और सुनवाई सिर्फ इस विवाद के चलते टल जाए कि सुनवाई सूची में किसकी याचिका का नाम पहले दर्ज हो और किस याचिका पर पहले सुनवाई की जाए।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कुछ ऐसा ही हुआ। ईडी निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाए जाने को चुनौती देने के मामले की सुनवाई सिर्फ इस विवाद के चलते टल गई कि सुनवाई सूची में पहले किसकी याचिका का नाम शामिल हो और किसकी याचिका पर पहले सुनवाई होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता वकील द्वारा उठाए गए सवाल पर मामले की सुनवाई टालते हुए रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह दाखिल हुई याचिकाओं का क्रम जांच कर मामले को मंगलवार को सुनवाई पर लगाए। यह निर्देश प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिये।
कुल सात याचिकाएं हैं लंबित
सुप्रीम कोर्ट में कुल सात याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाए जाने के संशोधित कानून को चुनौती दी गई है। जिन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं, उनमें कांग्रेस नेता डाक्टर जया ठाकुर, साकेत गोखले, कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, किशन चंद्र सिंह, महुआ मोइत्रा, वनीत नारायण और मनोहर लाल शर्मा शामिल हैं।
सोमवार को ये सभी याचिकाएं इसी क्रम में सुनवाई पर लगी थीं। जैसे ही केस सुनवाई पर आया रणदीप ¨सह सुरजेवाला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनकी याचिका में कानून को चुनौती दी गई है। उन्होंने कोर्ट से मामले में नोटिस जारी करने का आग्रह किया। तभी वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुनवाई सूची में याचिकाओं के क्रम पर सवाल उठाया। शर्मा की याचिका सूची में सबसे आखिरी नंबर पर लगी थी। शर्मा ने कहा कि यहां उनका सवाल यह है कि पहले किसकी याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए। मुख्य याचिकाकर्ता कौन होना चाहिए, जिसने सबसे पहले याचिका दाखिल की है उसकी याचिका पहले लगनी चाहिए या जिसने सबसे बाद में दाखिल की है उसकी।
जो याचिका सबसे ऊपर लिस्ट है वह 2022 में हुई है दाखिल
शर्मा ने कहा कि उन्होंने 2021 में याचिका दाखिल की थी। नियम के अनुसार, याचिकाएं सुनवाई पर लगनी चाहिए। जबकि, जो याचिका सबसे ऊपर लिस्ट है वह 2022 में दाखिल हुई है। शर्मा के सवाल पर जस्टिस रमणा ने कहा कि जो याचिका सबसे ऊपर लगी है, उसे जल्द सुनवाई के लिए कहा गया था। इसलिए, वह ऊपर लगी है। पीठ ने कहा कि आप मुद्दा सुलझाना चाहते हैं, हम मामला सुलझा रहे हैं। आपकी याचिका सूची में ऊपर हो या नीचे, कोर्ट आपको सुन रहा है और सुनेगा। शर्मा ने फिर कहा कि वह तो नियम की बात कर रहे हैं। तभी एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ता का नाम जाना ही नहीं चाहिए, क्योंकि इसमें सबसे पहला याचिकाकर्ता बनने की होड़ लग जाती है। यह होड़ होती है कि जनहित याचिका में किसका नाम ऊपर आता है, कौन मुख्य याचिकाकर्ता है।
कोर्ट ने शर्मा की टिप्पणी के बाद मामले की सुनवाई टालते हुए रजिस्ट्री को याचिकाओं के दाखिल होने का क्रम जांच कर मंगलवार को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई टलने पर गोपाल शंकर नारायण ने निराशा जताते हुए कहा कि ऐसे ही मुख्य मुद्दा पीछे चला जाता है। जस्टिस रमणा ने कहा कि क्या कर सकते हैं।