आधे से ज्यादा गिर गए सब्जियों का थोक भाव, किसानों पर गहराया संकट, जानें वजह
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के 50 दिनों में देशभर में सब्जियों के थोक भाव में 60 फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है। जानें इसके पीछे की वजहें...
नई दिल्ली, पीटीआइ। लॉकडाउन के 50 दिनों में देशभर में सब्जियों के थोक भाव में 60 फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, भरपूर उत्पादन, मांग में कमी और कोरोना संकट के दौरान बाजारों के बंद रहने की वजह से सब्जियों के थोक भाव में यह गिरावट देखने में आई है। हालांकि, इस दौरान ज्यादातर सब्जियों की खुदरा कीमतें ऊपरी स्तर पर स्थिर रही हैं।
पांच रुपये प्रति किलो से नीचे आया टमाटर
कृषि मंत्रालय के तहत एगमार्कनेट द्वारा सहेजे गए आंकड़ों के मुताबिक, रविवार यानी 24 मई को कई राज्यों में टमाटर का थोक भाव पांच रुपये प्रति किलोग्राम के नीचे, जबकि प्याज का थोक भाव प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में छह रुपये प्रति किलोग्राम से कम था। हालांकि आलू का थोक भाव रविवार को 12-13 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रहा। इस अवधि में भिंडी, शिमला मिर्च, करेला, लौकी, हरी मिर्च और धनिया के थोक भाव में भी खासी गिरावट दर्ज की गई।
किसानों पर दोहरी मार
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि किसान लागत से कम दाम पर अपने उत्पाद बेचने को मजबूर हैं। हालांकि उनका कहना था कि भरपूर उत्पादन के अलावा लॉकडाउन के चलते मंडियों में आए व्यवधान की वजह से भी सब्जियों के थोक भाव में गिरावट आई है। चंद ने कहा कि मंडियां राज्यों के विषय में आती हैं। ऐसे में राज्यों को वे सभी कदम उठाने चाहिए, जिससे मंडियों में अबाधित कारोबार चलता रहे।
मंडियां बंद, किसान परेशान
रमेश चंद ने कहा कि यदि कोविड-19 संकट में बीच शारीरिक दूरी के नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए मंडियों में कारोबार नहीं हो रहा है, तो सरकारों को इसके वैकल्पिक उपाय करने चाहिए, ताकि किसानों को खामियाजा नहीं भुगतना पड़े। उन्होंने कहा, कई राज्यों में मंडियां काम नहीं कर रही हैं। शायद वहां कारोबारी नहीं आर रहे हैं। मसलन, दिल्ली की आजादपुर मंडी कोविड-19 के चलते कई दिनों तक बंद रही। ऐसे में कीमतों पर सीधा असर पड़ रहा है।
किसानों को सीधे फसल बेचने की इजाजत मिले
रमेश चंद ने यह भी कहा कि कोरोना संकट के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने राज्यों को उनकी थोक मंडियां छह महीनों के लिए स्थगित करने की सलाह दी थी। लेकिन कई राज्यों ने ऐसा नहीं किया। असल में किसानों को अपनी फसल सीधे बेचने की इजाजत मिलनी चाहिए थी।
सब्जियां नहीं खरीद रहे लोग
वहीं कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी का कहना था कि होटल, रेस्टोरेंट और अन्य संस्थागत खरीदारों की तरफ से सब्जियों की थोक मांग नही के बराबर रही है। जहां तक खुदरा ग्राहकों का सवाल है, तो वे कोरोना संक्रमण के भय से पहले जितनी सब्जियां नहीं खरीद रहे हैं। उन्हें हर बार सब्जियों को धोना जटिल काम लग रहा है। उल्लेखनीय है कि बीते 24 घंटे में रिकॉर्ड 6,767 नए मामले मिले हैं और 147 लोगों की मौत हुई है। देश में अब तक एक लाख 31 हजार से ज्यादा मामले मिले हैं और 3,867 लोगों की मौत हुई है।