कौन होगा बाल ठाकरे का वारिस? उद्धव या राज
क्या बाल ठाकरे के जाने के बाद भी महाराष्ट्र पर शिवसेना की पकड़ पहले की ही जितनी मजबूत रहेगी? अब यह सवाल सभी लोगों के मन में कौंध रहा है। वो भी ऐसे वक्त में जब उद्धव और राज ठाकरे के बीच अ'छे संबंध नहीं हैं। हालांकि बाल ठाकरे की अंतिम इ'छा यही है कि दोनों भाई पुराने गिले-शिकवे भुलाकर उनकी विरासत को और आगे लेकर जाएं। लेकिन राज ठाकरे की अकड़ को देखकर फिलहाल ऐसा होने की संभावना काफी कम ही नजर आ रही है।
मुंबई। क्या बाल ठाकरे के जाने के बाद भी महाराष्ट्र पर शिवसेना की पकड़ पहले की ही जितनी मजबूत रहेगी? अब यह सवाल सभी लोगों के मन में कौंध रहा है। वो भी ऐसे वक्त में जब उद्धव और राज ठाकरे के बीच अच्छे संबंध नहीं हैं। हालांकि बाल ठाकरे की अंतिम इच्छा यही है कि दोनों भाई पुराने गिले-शिकवे भुलाकर उनकी विरासत को और आगे लेकर जाएं। लेकिन राज ठाकरे की अकड़ को देखकर फिलहाल ऐसा होने की संभावना काफी कम ही नजर आ रही है। दोनों भाइयों के बीच कड़वाहट का आलम यह है कि चाचा की मौत भी राज ठाकरे को पिघला न सकी। बताया तो यहां तक जा रहा है कि शिवसेना भवन से शिवाजी पार्क तक गई बाल ठाकरे की अंतिम यात्रा के दौरान राज कुछ देर के लिए गायब हो गए।
ठाकरे परिवार के लिए इस कठिन घड़ी में जो तस्वीरें पूरे देश ने देखीं उससे साफ हो गया कि राज ठाकरे और उद्धव की राहें मिलना अब मुश्किल है। जहां एक ओर बाला साहेब ठाकरे के अंतिम संस्कार में लगभग पूरी मुंबई ही सड़कों पर उतर गई वहीं दूसरी ओर खुद उनके भतीजे राज ठाकरे इस अंतिम यात्रा से कुछ देर के लिए गैर हाजिर दिखाई दिए। हालांकि वह सुबह अंतिम यात्रा से पहले मातोश्री पहुंचे थे और उन्होंने वहां का जायजा भी लिया था, लेकिन इसके बाद उनका चेहरा कहीं नहीं दिखाई दिया। जिस वक्त बाल ठाकरे की पार्थिव देह को मातोश्री से बाहर लाया गया उस वक्त भी उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे ही दिखाई दिए। आदित्य नम आंखों अपने पिता उद्धव को सांत्वना देते हुए दिखाई दिए। लेकिन इन सभी में राज की गैर मौजूदगी साफतौर पर जाहिर हो रही थी।
फूलों से सजे ट्रक पर केवल उद्धव और उनका परिवार ही दिखाई दिया। इसके अलावा कुछ अन्य लोग भी इस ट्रक पर बाला साहेब की पार्थिव देह के साथ नजर आए। अंतिम यात्रा से नदारद होने के बाद राज ठाकरे को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। माना जा उद्धव से अलगाव के चलते ही राज इस अंतिम यात्रा का हिस्सा नहीं बने हैं।
गौरतलब है कि बाला साहेब ठाकरे के अंतिम दिनों में राज बार-बार उनका हाल-चाल लेने मातोश्री आए थे। वहीं मीडिया में यह भी खबर आई कि ठाकरे ने अपने अंतिम शब्दों में दोनों भाइयों को एक साथ आने की बात कही थी। लेकिन राज के रवैये ने कई सवालों को जन्म दे दिया है। इसके बाद माना जा रहा है कि जिस सपने को लेकर ठाकरे इस दुनिया से विदा हो गए वह शायद सपना ही रह जाएगा।
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