आइसीएमआर समेत तीन संस्थानों के टीबी जांच को डब्ल्यूएचओ का मिला समर्थन
आइसीएमआर के अलावा अन्य दो संस्थान हैं-फाउंडेशन फॉर इनोवेटिव न्यू डायग्नोस्टिक्स (FIND) और मोलबियो डायग्नोस्टिक्स।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने टीबी यानी क्षय रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने और उसकी एक प्रमुख दवा की प्रतिरोधक क्षमता का आकलन करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) समेत तीन संस्थानों की तरफ से किए जा रहे जांच का समर्थन किया है।
तीनों अनुसंधान संस्थानों ने कहा कि उनकी टीबी का शुरुआत में पता लगाने के लिए 'रैपिड मोलेकूलर ट्रूएंट एसेस' जांच और साथ ही वयस्कों व बच्चों में रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक का पता लगाने की उनकी जांच का डब्ल्यूएचओ ने समर्थन किया है। रिफैम्पिसिन टीबी के इलाज में सामान्य तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। आइसीएमआर के अलावा अन्य दो संस्थान हैं-फाउंडेशन फॉर इनोवेटिव न्यू डायग्नोस्टिक्स (FIND) और मोलबियो डायग्नोस्टिक्स।
ट्रूएंट एक नई तरह की जांच प्रक्रिया है। इसमें तेजी से ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) और रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक की पहचान होती है। इसमें सभी तीन तरह की जांच के नतीजे आधे घंटे से भी कम समय में आ जाते हैं।
गौरतलब है कि टीबी का पता लगाने के लिए तीन तरह की जांच की जाती है, जिसमें ट्रूएंट एमटीबी, ट्रूएंट एमटीबी प्लस और ट्रूएंट एमटीबी-आरआइएफ डीएक्स शामिल हैं। इसमें पहले की दो जांच से टीबी वैक्टीरिया का पता चलता है, जबकि तीसरी जांच से रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक की पहचान होती है।
कोविड-19 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे जल्द
वहीं, दूसरी ओर कोविड-19 वैक्सीन तैयार करने के लिए दुनियाभर में परीक्षण चल रहा है। कई जगह इसका क्लीनिकल ट्रायल भी हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने क्लीनिकल ट्रायल के प्रारंभिक नतीजे दो हफ्ते के भीतर आने की उम्मीद जताई है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एधनोम घेब्रेयेसस शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि संगठन की तरफ से जिस दवा का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है उसके नतीजे दो हफ्ते में आने की उम्मीद है।
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