US Presidential Election 2020: भारत के लिहाज से ट्रंप और बिडेन में से कौन होगा बेहतर अमेरिकी राष्ट्रपति, जानें एक्सपर्ट व्यू
अमेरिका में राष्ट्रपति चयन को लेकर अब निर्णायक घड़ी नजदीक आ रही है। 3 नवंबर को यहां पर इलेक्टर्स के लिए वोटिंग होगी जो बाद में इलेक्टोरल कॉलज के लिए वोट करेंगे। ये बाद में राष्ट्रपति को चुनेंगे।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। अमेरिका में मंगलवार (3 नवंबर 2020) को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है। इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है। पूरी दुनिया की निगाहें इस चुनाव पर लगी हैं। हर कोई टकटकी लगाकर ये देखने और समझने की कोशिश कर रहा है कि आखिर दुनिया के सबसे ताकतवर देश की सत्ता को संभालने वाला कौन होगा। डेमोक्रेट पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन इसमें बाजी मारेंगे या फिर रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी और मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोबारा चुने जाएंगे। भारत के संदर्भ में यदि बात करें तो एक बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर इन दोनों में से कौन भारत के लिए बेहतर साबित होगा। इस सवाल के जवाब में जानकारों की राय बेहद स्पष्ट है। इन जानकारों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते जितने बेहतर हुए हैं वो पहले कभी नहीं हुए।
जवाहरलाल नेहरू के प्रोफेसर बीआर दीपक का कहना है कि जब से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभाली तभी से भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तेजी आनी शुरू हुई। उनके आने के बाद ही दोनों देशों के संबंधों को नए नई दिशा मिली है। ये संबंध पहले से अधिक मजबूत हुए हैं। वो मानते हैं कि ये केवल द्विपक्षीय मामलों में ही देखने को नहीं मिला है, बल्कि कई वैश्विक मुद्दों पर दोनों की राय एक समान ही दिखाई दी है। चीन के मुद्दे पर अमेरिका ने भारत के रुख का पुरजोर समर्थन किया है। इतना ही नहीं अमेरिका ने चीन के प्रति अपना सख्त रवैया अपनाकर कहीं न कहीं भारत की राह ही आसान की है। वैश्विक मंच पर मिले इस साथ की बदौलत दोनों देशों ने दशकों बाद एक लंबा रास्ता तय किया है।
वहीं, यदि बिडेन की बात करें तो वो 2009-2017 तक अमेरिका के उप-राष्ट्रपति रहे। उनके इस पूरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका के संबंधों को नई धार नहीं मिल सकी, बल्कि इसके उलट चीन को लेकर भी ओबामा प्रशासन काफी हद तक चुप्पी ही साधे रखा। इसका नतीजा ये हुआ कि चीन के मोर्चे पर भारत को परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रोफेसर दीपक मानते हैं कि बिडेन का रुख चीन के प्रति काफी लचीला रहा है। उनका ये भी कहना है कि ट्रंप प्रशासन से पहले अमेरिका की कोई इंडो-पैसिफिक पॉलिसी नहीं थी। ट्रंप प्रशासन ने न सिर्फ इसको बनाया, बल्कि चीन के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए कई देशों को एकजुट भी किया। ऐसे में यदि ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनने में कामयाब होते हैं तो दोनों देशों के रिश्ते और अधिक मजबूत होने की पूरी उम्मीद है।
प्रोफेसर दीपक की ही तरह भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कमोडोर रंजीत राय भी मानते हैं कि दोनों देशों के बीच जो संबंध राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बनाए इससे पहले ऐसे संबंध दोनों में नहीं थे। राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में न सिर्फ इन संबंधों को मजबूत बनाने के तरजीह दी गई बल्कि इसके लिए भारत को भी पूरी तवज्जो दी, जो पहले कभी नहीं दी गई थी। राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच संबंधों के मजबूत होने की कहानी इस बात से भी समझी जा सकती है कि 1995-96 में भारत और अमेरिका के बीच जो सैन्य व्यापार महज 1 बिलियन डॉलर था जो अब बढ़कर 22 बिलियन डॉलर हो चुका है। कमोडोर रंजीत ये भी मानते हैं कि 2015 में अमेरिका की तत्कालीन ओबामा सरकार में भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्ट्रैटजिक पार्टनर बनाया। ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद खुलेतौर पर भारत का समर्थन करते हुए अपने हथियारों की खरीद के लिए सभी द्वार खोल दिए। इसका नतीजा ये हुआ कि भारत ने ट्रंप प्रशासन में कई अत्याधुनिक हथियार अमेरिका से खरीदे। इस दौरान दोनों देशों के बीच कुछ अहम समझौते भी हुए।
हालांकि विदेश मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा ऐसा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच बेहतर संबंधों की शुरुआत ट्रंप से पहले बिल क्लिंटन के प्रशासन में हो चुकी थी। इसके बाद जब जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में भी रिश्ते और अधिक बेहतर हुए। इसके बाद ओबामा कार्यकाल में रिश्तों को और अधिक मजबूती मिली। इन तीनों राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच न सिर्फ संबंध बेहतर हुए बल्कि कई समझौते भी किए गए। उनके मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप अपनी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर ज्यादा बताते हैं। आगा मानते हैं कि अमेरिका में ऐसा कम देखा गया है कि राष्ट्रपति पद पर आसिन कोई भी व्यक्ति पुरानी सरकार के फैसले या नीतियों को पूरी तरह से बदल देता है। वो ये भी मानते हैं कि भारत की ताकत और अहमियत का अंदाजा अब अमेरिका को है। बिडेन भी भारत के साथ रिश्तों को और अधिक मजबूत करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति बनने पर भारत से बड़ी डील करने की भी बात की है।
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