Move to Jagran APP

जानिए कौन हैं जस्टिस एके पटनायक, जिन्हें मिली है CJI मामले में जांच की अहम जिम्मेदारी

CJI मामले में जांच टीम की कमान संभालने वाले Justice AK Patnaik पहले भी कई अहम जम्मेदारियां निभा चुके हैं। इससे पहले CBI विवाद में भी उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 03:48 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 04:20 PM (IST)
जानिए कौन हैं जस्टिस एके पटनायक, जिन्हें मिली है CJI मामले में जांच की अहम जिम्मेदारी
जानिए कौन हैं जस्टिस एके पटनायक, जिन्हें मिली है CJI मामले में जांच की अहम जिम्मेदारी

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi Case) पर लगे यौन उत्पीड़न और बेंच फिक्सिंग मामले में एडवोकेट उत्सव बैंस द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक को नियुक्त किया है। जस्टिस एके पटनायक के लिए ये एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी है। इससे पहले सीबीआई विवाद में भी उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आइये जानते हैं, कौन हैं जस्टिस एके पटनायक?

loksabha election banner

हाल में सीबीआइ में उपजे विवाद के बाद जस्टिस अनंग कुमार पटनायक सुखियों में आए थे। पटनायक ने तब सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के ख़िलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने वाली समिति के अध्‍यक्ष थे। अब वह वकील उत्सव बैंस द्वारा लगाए गए आरोपों और उनके द्वारा सौंपे जाने वाले सबूतों की जांच करने वाली कमेटी के अध्यक्ष हैं। जस्टिस पटनायक 2009 से 2014 तक सुप्रीम कोर्ट में रहे। 'तोते' (सीबीआइ) को पिंजरे से आजादी दिलाने वाली संविधान पीठ में भी वह शामिल रहे थे। इसके पूर्व हाईकोर्ट के जज रहते हुए पटनायक कई बार चर्चाओं में रहे हैं।

'तोते' को 'पिंजरे' से आजाद कराया
2003 में तत्कालीन राजग सरकार ने 'दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट' में धारा-6(ए) जोड़ी थी। इस धारा के तहत संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए सीबीआइ को सरकार की अनुमति लेना जरूरी था। लेकिन, जस्टिस आरएम लोढ़ा, एके पटनायक, एसके मुखोपाध्याय, दीपक मिश्रा और इब्राहिम कलीफुल्ला की संविधान पीठ ने 2014 में इस प्रावधान को खत्म कर दिया था। इस फैसले से करीब एक साल पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ को जमकर लताड़ लगाई थी। इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि सीबीआइ 'पिंजरे में बंद तोता' बन गई है और सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं के सुर में सुर मिलाती है।

2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई
पहली बार 2012 में जस्टिस पटनायक तब सुर्खियों में आए, जब देश के चर्चित 2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में पटनायक भी शामिल थे। इस पीठ में तत्‍कालीन मुख्‍य न्‍यायाधीश एसएच कपाड़‍िया भी थे। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर केंद्र में सत्‍तारूढ़ कांग्रेस सरकार संकट में थी, और विपक्ष की नजर इस सुनवाई पर टिकी थी।

जस्टिस सौमित्र सेन की सुनवाई में शा‍मिल
जस्टिस पटनायक का सबसे चर्चित मामला जस्टिस सौमित्र सेन का है। वह उस तीन सदस्यीय समिति के सदस्य थे, जिसने कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सेन के खिलाफ लगे फंड के गलत इस्तेमाल के आरोपों की जांच की थी। इस जांच के बाद भारत में ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी जज के खिलाफ महाभियोग चलाया गया था। बता दें कि सौमित्र सेन के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। लोकसभा में भी इसके पास हो जाने के बाद सौमित्र सेन को इस्तीफा देना पड़ा था। भारत में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी जज के खिलाफ महाभियोग चलाया गया हो।

इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स प्रोजेक्ट की सुनवाई में शामिल
2012 में वो भारत सरकार के महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स प्रोजेक्ट को मंजूरी देने वाले जजों की पीठ में शामिल थे। एक जनहित याचिका के सिलसिले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रमुख नदियों को जोड़ने की योजना तैयार कर उसे 2015 तक क्रियान्वित करने का केंद्र को निर्देश दिया था।

कॉलेजियम सिस्टम पर उठाए सवाल
जस्टिस एके पटनायक ने कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे। इसके चलते वह सुर्खियों में रहे। 2016 में पटनायक कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम की वजह से जजों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम के काम करने के तरीके पर भी सवाल खड़े किए थे।

नोटा से स्पॉट फिक्सिंग तक की जांच
मतदान के दौरान नोटा का विकल्प देने के मामले से लेकर आइपीएल में स्पॉट फिक्सिंग तक की सुनवाई में भी जस्टिस पटनायक सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल रह चुके हैं।

नदी जोड़ो योजना
यह आदेश जस्टिस पटनायक ने ही दिया था कि तय समय में नदियों को जोड़ने की योजना पर काम करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त समिति बनाई जाए।

कौन हैं एके पटनायक
दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद एके पटनायक ने कटक से कानून की पढ़ाई पूरी की। जस्टिस पटनायक का जन्म 3 जून 1949 को हुआ था। उन्‍होंने अपने करियर की शुरुआत ओडिसा से वकालत शुरू की। 1974 में वह ओडिसा बार एसोसिशन के सदस्‍य बने। वकालत शुरू करने के करीब 20 वर्ष बाद 1994 में वह ओडिसा हाईकोर्ट के अतिरिक्‍त सेशन जज बनाए गए। इसके बाद इनका स्‍थानांतरण असम हाईकोर्ट कर दिया गया। इसके बाद वह गुवाहाटी हाईकोर्ट के स्‍थाई जज बनें। 2002 में अपने गृह राज्य में भेजे जाने से पहले सात साल तक यहां कार्यरत रहे।

मार्च, 2005 में जस्टिस पटनायक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनें। सात माह बाद यानी 2005, अक्टूबर में वो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। छत्‍तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उनके काम की तारीफ सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरसी लाहोटी ने की थी। नवंबर, 2009 में उन्हें उच्‍चतम न्‍यायालय के जज बनें। पांच साल बाद यानी जून 2014 में जस्टिस पटनायक सेवानृवित्‍त हुए थे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.