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इंडिया के 'कॉफी किंग' वीजी सिद्धार्थ, जिन्होंने भारतीयों को शान से कॉफी पीना सिखाया

अपना कारोबार शुरू करने के लगभग 15 सालों के बाद सिद्धार्थ ने कॉफी चेन की शुरुआत की। 11 जुलाई 1996 को बैंगलोर में कैफे कॉफी डे का पहला आउटलेट खुला।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 02:37 PM (IST)
इंडिया के 'कॉफी किंग' वीजी सिद्धार्थ, जिन्होंने भारतीयों को शान से कॉफी पीना सिखाया
इंडिया के 'कॉफी किंग' वीजी सिद्धार्थ, जिन्होंने भारतीयों को शान से कॉफी पीना सिखाया

नई दिल्ली, जेएनएन। कैफे कॉफी डे के मालिक (CCD Founder) वीजी सिद्धार्थ (VG Siddhartha) का शव मिल गया है। सिद्धार्थ सोमवार शाम से ही लापता थे। करीब 200 लोगों की टीम नेत्रावती नदी में उनकी तलाश कर रही थी। सीसीडी की इतनी बड़ी चैन चलने वाले वीजी सिद्धार्थ की मौत से हर कोई सन है। 1 अरब डॉलर से अधिक का अंपायर खड़ा करने वाले सिद्धार्थ ने अपने जीवन में जो फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है।

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सिद्धार्थ (VG Siddhartha) का जन्म कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में हुआ था। सिद्धार्थ का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था, जो करीब 135 सालों से कॉफी उगा रहा था। इस परिवार के पास 500 एकड़ में कॉफी की खेती थी। सिद्धार्थ का कॉफी इंडस्ट्री में जाने का मन कभी नहीं था। कर्नाटक की मेंगलुरु यूनिवर्सिटी से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। इसके बाद वह पिता से पैसे लेकर मुंबई चले गए। सिद्धार्थ ने अपने करियर की शुरुआत 1983-84 में मुंबई के जेएम फाइनेंसियल लिमिटेड में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी और इंटर्न के तौर पर शुरू की।

मुंबई में दो साल रहने के बाद सिद्धार्थ वापस बेंगलुरु आ गए। बेंगलुरु में उन्होंने एक फाइनेंस कंपनी खोली। वह अपने जिले चिकमंगलूर में कॉफी पैदा करते थे और सालाना करीब 28 हजार टन कॉफी बाहर भेजते थे। सिद्धार्थ ने 1992 में अमलगमेटेड बीन कंपनी (एबीसी) के नाम से अपनी कंपनी शुरू की। शुरुआत में इस कंपनी का सालाना टर्नओवर छह करोड़ रुपये का था, लेकिन दिन पर दिन कारोबार में इजाफे के साथ उनकी इस कंपनी का कुछ ही साल में टर्नओवर 25 अरब रुपये हो गया।

अपना कारोबार शुरू करने के लगभग 15 सालों के बाद सिद्धार्थ ने कॉफी चेन की शुरुआत की। साल 1993 में सिद्धार्थ ने कॉफी बीन्स को एक्पोर्ट करना शुरू कर दिया था। इसी दौरान उनकी मुताकात एक जर्मन कॉफी चेन के मालिक से हुई। सिद्धार्थ की कंपनी जर्मन कॉफी रिटेलर चिबो को कॉफी बीन्स सप्लाई करती थी। चिबो ने साल 1948 में एक कॉफी स्टोर खोला था, जो देखते ही देखते मिलियन डॉलर फर्म बन गई थी।

सिद्धार्थ चिबो के इस सफर से काफी प्रभावित हुए। इस कंपनी के मालिक से मिलने के बाद उनकी इच्छा हुई कि वह भारत में अपने कॉफी कैफे की चेन बनाएं। सिद्धार्थ ने सोच लिया था कि वो देश में कॉफी पीने के लिए पूरा एक माहौल तैयार करेंगे। सिद्धार्थ को अहसास हुआ कि कॉफी कप से होने वाली कमाई कॉफी बीन्स या पाउडर बेचने से ज्यादा होती है। इसकी शुरुआत उन्होंने 11 जुलाई 1996 को की। इस दिन बैंगलोर में 'कैफे कॉफी डे' का पहला आउटलेट खोला गया। 

सिद्धार्थ ने 1996 में सीसीडी की स्थापना की थी। इस एक आउटलेट में उन्होंने करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए थे। उस जमाने में यहां 25 रुपए में कॉफी मिलती थी। सीसीडी की टैग लाइन थी 'अ लॉट कैन हैप्पन ओवर ए कप ऑफ कॉफी'। अब सीसीडी देश का सबसे बड़ा कॉफी चेन बन चुका था। देश के 209 शहरों में इसका जाल फैला है। इस वक्त देश में CCD के 1500 से ज्यादा आउटलेट्स हैं। विदेश की बात करें तो ऑस्ट्रिया, चैक रिपब्लिक, मलेशिया, इजिप्ट, नेपाल में सीसीडी मिल जाते हैं। देश के 28 राज्यों में 1700 से ज्यादा आउटलेट्स हैं। 4000 से ज्यादा लोग इसमें नौकरी करते हैं।

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