Bihar Assembly Election 2020 में किसी भी पार्टी की हार या जीत में अहम होगी हरियाणा के लालों की भूमिका
बिहार में मतगणना का दौर चल रहा है। सभी की निगाहें इस पर लगी हैं। एक्जिट पोल में जो कुछ सामने आया है उसको लेकर भी चर्चाओं का दौर जारी है। इस बीच आपको बता दें कि भाजपा राजद और कांग्रेस के रणनीतिकारों का संबंध हरियाणा से है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। बिहार में मतगणना का दौर जारी है और शुरुआती रुझान भी आने शुरू हो गए हैं। यदि बात करें एक्जिट पोल की तो इनमें राज्य में बड़ा फेरबदल होने का संकेत दिखाई दे रहा है। बहरहाल, बिहार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने इसमें जीत दर्ज करने के लिए जो रणनीति बनाई उसका हरियाणा कनेक्शन बेहद दिलचस्प है। दरअसल, इन तीनों ही पार्टियों के रणनीतिकारों का ताल्लुक हरियाणा से है। कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला, राजद के संजय यादव और भाजपा के भूपेंद्र सिंह यादव यहीं से ताल्लुक रखते हैं। अब आपको एक-एक करके इनके बारे में जानकारी दे देते हैं।
कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला
कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला बिहार चुनाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनके ऊपर हार हो या जीत दोनों ही सूरत में अपने विधायकों को एकजुट रखने की भी जिम्मेदारी है। इसके अलावा इस चुनाव में उन्होंने ताबड़-तोड़ कई रैलियां भी की है। सूरजेवाला हरियाणा के सबसे कम उम्र के मंत्री रह चुके हैं। 1996 और 2005 में उन्होंने हरियाणा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को करारी हार दी थी। वर्तमान में सुरजेवाला कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। उनके पिता भी हरियाणा सरकार में मंत्री के अलावा कई बार विधायक और सांसद भी रह चुके हैं। सुरजेवाला महज 17 वर्ष की उम्र में राज्य कांग्रेस के महासचिव बनाए गए थे। 2004 में उन्हें कांग्रेस का सचिव बनाया गया था। 2019 के चुनाव में उन्हें कैथल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी लीला राम गुर्जर के हाथों हार का स्वाद चखना पड़ा था। बिहार चुनाव की ही बात करें तो सुरजेवाला ने वहां पर मीडिया प्रबंधन के अलावा कांग्रेसी नेताओं की चुनावी सभाओें की भी जिम्मेदारी संभाली थी। मतदान के तीनों चरण पूरे होने के बाद पार्टी ने उन्हें बिहार में ही तैनात कर दिया था। इसकी वजह ये थी कि वो किसी भी सूरत में पार्टी के विधायकों को एकजुट कर रख सकें।
राजद के संजय यादव
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के रणनीतिकार संजय यादव तेजस्वी के करीबी दोस्त हैं। इनकी पढ़ाई-लिखाई हरियाणा से हुई है। संजय ने इस चुनाव में पार्टी के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रचार का जिम्मा संभाला था। यहां पर उन्होंने अपने अनुभव का फायदा उठाया। तेजस्वी और संजय की दोस्ती काफी पुरानी है। राजद में आने से पहले संजय एमएससी और फिर एमबीए करने के बाद एक आईटी कंपनी में काम कर रहे थे। आईपीएल में करियर न बनता देख जब तेजस्वी ने पार्टी और राजनीति की तरफ रुख किया तो इसमें उन्हें संजय का भी साथ मिला। इस चुनाव के लिए तेजस्वी के कहने पर संजय तीन वर्ष से काम कर रहे थे। एक्जिट पोल में जो बातें सामने आई हैं उनके मुताबिक संजय की रणनीति काम करती दिखाई दे रहा है। पार्टी के मंसूबों को पूरा करने के लिए संजय और तेजस्वी के बीच बैठकों का लंबा दौर चला। इस दौरान 2010 के चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार की भी समीक्षा की गई और आगे की रणनीति बनाई गई। इस चुनाव परिणाम के विश्लेषण से एक बात सामने निकलकर आई कि पार्टी को दोबारा अपना खोया हुआ गौरव दिलाने के लिए कुछ मेहनत की जरूरत है।
संजय ने पार्टी के प्रचार और प्रसार की जो रणनीति बनाई उसके तहत पार्टी के कैडर को सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और हैंडबिल के लिए इस्तेमाल किया गया। केंद्र सरकार के 17 महीनों के कार्यकाल का लेखा-जोखा निकाला गया। प्रोजेक्टर के जरिए लोगों को बताया गया कि जिस बिहार में आरजेडी के शासन को केंद्र सरकार जंगलराज बता रही थी उस वक्त अपराध का आंकड़ा क्या था और बाद में इसका क्या स्तर रहा। इस तरीके से उन्होंने केंद्र की नाकामियों को भी लोगों तक पहुंचाया। चारा घोटाले के सच के बारे में लोगों को बताया गया। उन्होंने पांच लोगों की टीम तैयार की जिसमें अलग-अलग फील्ड से जुड़े एक्सपर्ट थे। पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर दूसरे प्रचारकों को इसकी पूरी ट्रेनिंग दी गई। जहां-जहां पीएम मोदी की रैली हुईं वहां पर राजद नेताओं की रैलियों का खाका खींचा गया।
भाजपा के भूपेंद्र सिंह यादव
बिहार में भाजपा के रणनीतिकार की भूमिका में भूपेंद्र यादव हैं। ये भी मूल रूप से हरियाणा की हैं, हालांकि बाद में इनका परिवार राजस्थान में बस गया था। वहां पर ही इनका जन्म हुआ और बाद में इन्होंने शिक्षा भी यहीं से हासिल की। इन्हें बेहतर रणनीतिकार माना जाता है। इसके पीछे एक वाजिब वजह भी है। उनकी इसी रणनीति की बदौलत पार्टी ने 2013 में राजस्थान, 2017 में गुजरात, 2014 में झारखंड और 2017 में उत्तर प्रदेश जीत दर्ज की थी। भूपेंद्र लगातार दो बार राजस्थान से ही राज्यसभा के लिए चुने गए।
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