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श्वेतपत्र ने अजीत पवार के कारनामों पर पर्दा डाला

मुंबई [ओम प्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र सरकार ने सिंचाई घोटाले पर बहुप्रतीक्षित श्वेतपत्र तैयार कर लिया है, जिसे उपमुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार के कारनामों पर पर्दा डालने वाला दस्तावेज माना जा रहा है। बताया जाता है कि दस्तावेज में न सिर्फ अजीत को क्लीन चिट दी गई है,बल्कि सिंचाई परियोजनाओं के बढ़े खर्च का ठीकरा दूसरे विभागों पर फोड़ा गया है।

By Edited By: Published: Thu, 29 Nov 2012 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2012 10:38 PM (IST)
श्वेतपत्र ने अजीत पवार के कारनामों पर पर्दा डाला

मुंबई [ओम प्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र सरकार ने सिंचाई घोटाले पर बहुप्रतीक्षित श्वेतपत्र तैयार कर लिया है, जिसे उपमुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार के कारनामों पर पर्दा डालने वाला दस्तावेज माना जा रहा है। बताया जाता है कि दस्तावेज में न सिर्फ अजीत को क्लीन चिट दी गई है,बल्कि सिंचाई परियोजनाओं के बढ़े खर्च का ठीकरा दूसरे विभागों पर फोड़ा गया है।

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सीएजी रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि पिछले 10 वर्षो में 68 हजार करोड़ रुपए खर्च करके भी राज्य की सिंचन क्षमता सिर्फ एक फीसदी बढ़ी। सूबे में कांग्रेस-राकांपा की साझा सरकार के अब तक के 13 वर्षो में 1999 से 2008 तक शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ही सिंचाई मंत्री रहे हैं। इसलिए विभाग की नाकामी के लिए विपक्ष उन्हें जिम्मेदार मान रहा है। विपक्ष की ही मांग पर मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने सिंचाई के मुद्दे पर अब तक हुएखर्च पर श्वेतपत्र लाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने श्वेतपत्र तैयार करने का जिम्मा सिंचाई विभाग को ही सौंपा। विभाग ने माह भीतर न सिर्फ काम पूरा कर लिया बल्कि सीएजी रिपोर्ट में उजागर की गई खामियों को बेजा बताया गया है।

सूत्रों की मानें तो श्वेतपत्र में 2000 से 2010 के बीच सिंचाई योग्य कृषि भूमि में एक नहीं 28 फीसदी वृद्धि, शहरी एवं औद्योगिक क्षेत्र को 70 टीएमसी अतिरिक्त जल देने की बात कही गई है। राज्य में 69 मध्यम एवं बड़े तथा 186 छोटे बांध बनाने की योजना को केंद्रीय जल आयोग से स्वीकृति का भी दावा किया गया है। विभिन्न कारणों से इन परियोजनाओं की लागत वृद्धि की मंजूरी भी केंद्रीय जल और योजना आयोग से ली गई। श्वतेपत्र की मानें तो ज्यादातर बांध परियोजनाओं की लागत पुनर्वास में देरी के कारण बढ़ी है। जैसे, गोसीखुर्द बांध परियोजना की लागत 400 से बढ़कर 7,777 करोड़ इसलिए हो गई, क्योंकि परियोजना स्थल से विस्थापित लोगों का पुनर्वास 25 वर्षो तक नहीं हो सका।

हालांकि उक्त श्वेतपत्र अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन इसके परिणामों पर राजनीति शुरू हो गई है। अजीत पवार की पार्टी राकांपा के प्रदेश प्रवक्ता नवाब मलिक ने अभी से मांग शुरू कर दी है कि अजीत को क्लीन चिट मिलने की स्थिति में पुन: उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाए। मलिक के मुताबिक, वह पार्टी हाईकमान से इस बारे में मांग करेंगे। ज्ञात हो, अजीत पवार ने स्वयं पर लग रहे आरोपों के कारण ही कुछ माह पहले उप मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। वहीं, भाजपा एवं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने श्वेतपत्र को छलावा बताया है। दोनों दलों ने श्वेतपत्र के जवाब में काला पत्र लाने की घोषणा की है।

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