अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को कोर्ट ने भेजा ईडी रिमांड पर
आतंकियों को फंडिंग मामले में अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को पटियाला हाउस कोर्ट ने सात दिन के लिए ईडी की रिमांड पर भेजा है।
श्रीनगर/नई दिल्ली, ब्यूरो, एजेंसी। आतंकियों को फंडिंग कर कश्मीर में हालात बिगा़डने के मामले में गिरप्तार अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को कोर्ट ने सात दिन के लिए ईडी की रिमांड में भेजा है। शब्बीर शाह को एनआइए ने बीते मंगलवार को कश्मीर से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया था।
दो करो़ड बरामद हुए थे
गिरफ्तारी के दौरान की गई छापेमारी में दो करोड़ रुपए, कुछ किताबें और आतंकी संगठनों के लेटर हेड बरामद हुए हैं। एनआइए मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी।
बताते चलें कि एनआईए ने आतंकी फंडिंग के मामले में 30 मई को कई अलगाववादी नेताओं और हुर्रियत के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद सोमवार को पूर्व आतंकी कमांडर फारक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे को दिल्ली से, नईम खान, अल्ताफ अहमद शाह गिलानी [ हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी का दामाद ], अयाज अकबर, पीर सैफुल्लाह, राजा मेहराजुद्दीन, आफताब हिलाली शाह उर्फ शाहिद उल इस्लाम को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें सोमवार को ही दिल्ली लाया गया था। इन सभी पर कश्मीर में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा समेत अन्य संगठनों की गतिविधियों को ब़़ढावा देने के लिए अवैध तरीके से फंड एकत्रित कर आतंकियों तक पहुंचाने का आरोप है। बताया जा रहा है कि ज्यादातर फंडिंग पाकिस्तान से हो रही थी।
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पैसा कहां से आ रहा है, कहां इस्तेमाल हो रहा है, सभी लोगों को पता चलना चाहिएः फारुख
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि एनआइए को आतंकी फंडिंग की जांच करने के साथ यह भी पता लगाना चाहिए कि क्या कभी भारत सरकार ने भी हुर्रियत नेताओं की फंडिंग की है या नहीं।
फारूक ने कहा कि हुर्रियत नेताओं को मिलने वाले पैसे की जांच करने के लिए मैं एनआइए को मुबारक देता हूं। पैसा कहां से आ रहा है, कहां इस्तेमाल हो रहा है, यह हम सभी लोगों को पता चलना चाहिए। पाकिस्तान किस रास्ते और किसलिए यहां पैसा भेज रहा है। इसके साथ ही एनआइए को यह भी छानबीन करनी चाहिए कि क्या नई दिल्ली भी हुर्रियत कांफ्रेंस को वित्तीय मदद देती रही है या नहीं।
फारूक ने कहा कि हुर्रियत नेताओं पर पाकिस्तान से ही नहीं नई दिल्ली के साथ भी साठगांठ के आरोप लगते रहे हैं। इसलिए सभी तथ्यों की जांच होनी चाहिए। यह कहना कि हुर्रियत नेताओं पर शिकंजा कसने से कश्मीर मसला हल हो जाएगा या आतंकवाद समाप्त हो जाएगा, सही नहीं है। कश्मीर में आतंकवाद या कश्मीर विवाद तभी हल होगा जब भारत-पाकिस्तान आपस में बातचीत के जरिये इस मसले को हल करेंगे।
फारूक ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि हर बार प्रधानमंत्री ही बात करें। मेरी राय में केंद्र सरकार को सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सरीखे वरिष्ठ सांसद व नेता हों, पाकिस्तानी सांसदों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पाकिस्तान भेजा जाए।