यहां किसान बेच रहे हैं किडनी
यूपीए सरकार ने लगभग पांच साल पूर्व महत्वाकांक्षी योजना के तहत किसानों को राहत देने के मकसद से 52 हजार करोड़ रुपये उनकी कर्ज माफी के लिए आवंटित की थी लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि आंध्र प्रदेश के किसान अपने कर्ज को चुकाने के वास्ते अपनी किडनी व अन्य अंग बेच रहे हैं।
नई दिल्ली। यूपीए सरकार ने लगभग पांच साल पूर्व महत्वाकांक्षी योजना के तहत किसानों को राहत देने के मकसद से 52 हजार करोड़ रुपये उनकी कर्ज माफी के लिए आवंटित की थी लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि आंध्र प्रदेश के किसान अपने कर्ज को चुकाने के वास्ते अपनी किडनी व अन्य अंग बेच रहे हैं।
सभी 35 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के किसानों को राहत देने के लिए घोषित 52 हजार करोड़ के पैकेज का लगभग 57 फीसद हिस्सा सिर्फ तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के पास गया। आंध्र प्रदेश को 11 हजार करोड़ दिए गए। जबकि उत्तर प्रदेश को 9095 करोड़ और महाराष्ट्र को 8900 करोड़ रुपये मिले। माना जाता है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार इसी कर्ज माफी योजना की बदौलत 2009 में हुए आम चुनाव में लगातार दूसरी बार सत्ता पर कब्जा जमाने में सफल रही थी और उक्त जिन तीन राज्यों को सर्वाधिक पैसे दिए गए थे वहां कांग्रेस को फायदा भी मिला। 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस को आंध्र में 31, यूपी में 22 और महाराष्ट्र में 16 सीटें मिली जिससे वह लगातार दूसरी बार सत्ता पर कब्जा जमाने में सफल रही।
दूसरी तरफ नियंत्रण व लेखा परिषद [कैग] ने इस योजना में हुई भारी अनियमितता पर अपनी रिपोर्ट पेश की है। आंध्र प्रदेश में लगभग 77 लाख किसानों के बीच 11 हजार करोड़ की रकम बांटी गई थी जो कुल राशि का 21 फीसद था। लेकिन कैग ने खुलासा किया है कि बड़ी संख्या में वैसे किसानों को फायदा पहुंचाया गया जो इस योजना के लिए योग्य नहीं थे। छोटे और गरीब किसानों को इसका फायदा नहीं मिला और वह कर्ज के दुष्चक्र में फंसे रहे। और कर्ज का बोझ उतारने के लिए किसान अपनी किडनी बेच रहे हैं। कर्ज माफी योजना के तहत में हद तब हो गई जो कृषि लोन नहीं था उसे कृषि लोन में बदल कर फायदा पहुंचाया गया।
कैग ने अनियमितता के कई सैंपल पेश किए हैं। कैग के अनुसार आंध्र प्रदेश के बालिकुरावा स्थित आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक ने कम से कम 17 कर्जदारों की लोन कैटिगरी ही बदल दी जिससे वे आसानी से कर्ज चुका सके। जो बड़े किसान थे उन्हें सीमांत किसान बनाकर पूरा लोन माफ कर दिया गया। यह केवल आंध्र प्रदेश की ही कहानी नहीं है बल्कि देश के कई राज्यों में ऐसा किया गया। कैग ने 25 राज्यों के 92 जिलों से 715 बैंक शाखाओं की गड़बड़ियां पेश की हैं जिसमें 80 हजार से ज्यादा किसानों को फायदा दिया गया। आंध्र प्रदेश में 32,00 कर्ज खातों की जांच की गई तो करीब 132 मामले ऐसे आए जिनमें गलत लोगों को इस स्कीम का फायदा पहुंचाया गया था। आंध्र से जुड़े सौ मामलों में कैग ने पाया कि पहले चरण में किसानों को जानबूझकर कर्ज नहीं बांटा गया जिससे बड़े किसानों को फायदा मिल सके।
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