डिफॉल्ट से व्हॉट्सएप ग्रुप एडमिन बन गए तो हो जाएं सावधान!
व्हॉट्सएप प्रोसेस में सेटिंग के मुताबिक ऑटोमेटिकली डिफॉल्ट से मनोज उस ग्रुप का एडमिन बन गया।
भोपाल (विनायक बड़ोदिया)। मनोज अपने दोस्त के साथ एक व्हॉट्सएप ग्रुप में जुड़ा। वह ग्रुप का एक एक्टिव मेम्बर था। एडमिन ने ऐसे कई दोस्तों को ग्रुप में जोड़ा था। एक दिन ग्रुप में आपत्तिजनक मैसेज आया। जिसे मनोज ने आगे फॉरवर्ड कर दिया। इसी बीच ग्रुप के एडमिन ने ग्रुप छोड़ दिया। व्हॉट्सएप प्रोसेस में सेटिंग के मुताबिक ऑटोमेटिकली डिफॉल्ट से मनोज उस ग्रुप का एडमिन बन गया। मैसेज आपत्तिजनक होने से यह मामला साइबर सेल में विचाराधीन है।
यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि इन दिनों व्हॉट्सएप को लेकर ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। ग्रुप पर आई सामग्री को बिना देखे और पढ़े आगे फॉरवर्ड कर देने से दिक्कतें खड़ी हो रही हैं। मैसेज फॉरवर्डिंग के दौरान यदि एडमिन ग्रुप छोड़ देता है तो जिसने मैसेज फॉरवर्ड किया है, वह व्हॉट्सएप मैसेज फॉरवर्डिंग प्रोसेस के मुताबिक ऑटोमेटिकली ग्रुप एडमिन बन जाता है। भले ही यह बाय डिफॉल्ट ग्रुप एडमिन बना हो, लेकिन आपत्तिजनक सामग्री फॉरवर्ड करने के लिए वही जिम्मेदार माना जाएगा। व्हॉट्सएप में आगे भेजी गई आपत्तिजनक सामग्री के कारण उसके खिलाफ साइबर क्राइम का मामला दर्ज होगा।
बहरहाल, आपत्तिजनक व्हॉट्सएप मैसेज फॉरवर्डिंग व बाय डिफॉल्ट ग्रुप एडमिन बन जाने से इन दिनों लोगों पर साइबर क्राइम के मामले दर्ज हो रहे है, वहीं कुछ तो जेल की भी हवा खा चुके हैं। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया राजगढ़ के तलेन में रहने वाले 21 वर्षीय जुनैद खान का। वह बाय डिफॉल्ट से व्हॉट्सएप ग्रुप का एडमिन बन गया। मामला चूंकि राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़े संदेश भेजने का था, इसलिए राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ।
लिहाजा, वह गिरफ्तार होने के बाद से पिछले पांच माह से जेल में सजा काट रहा है। दरअसल, उसके ग्रुप में एक राष्ट्रविरोधी मैसेज आया था, जिसे उसने आगे फॉरवर्ड कर दिया था। इसी बीच मुख्य एडमिन ने ग्रुप में से खुद को हटा लिया और बाय डिफॉल्ट से जुनैद एडमिन बन गया। ग्रुप एडमिन होने के कारण जुनैद को जेल हो गई।
आईटी एक्ट व राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज
जानकारी के मुताबिक तलेन में रहने वाला 21 वर्षीय जुनैद खान बीएससी का छात्र है और पुलिस ने उसे ग्रुप में आपत्तिजनक मैसेज फारवर्ड करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उसे 14 फरवरी 2018 को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से वह जेल में है। जुनैद पर आईटी एक्ट के साथ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।
डिफॉल्ट एडमिन बनने पर
एक्सपर्ट बताते हैं कि इस मामले पर कार्रवाई की गई है तो जुनैद मौजूदा ग्रुप का एडमिन था। ऐसे में जुनैद ही मैसेज के लिए जिम्मेदार बना, लेकिन आपत्तिजनक पोस्ट शेयर किए जाने के वक्त एडमिन जुनैद नहीं था। रियल एडमिन और अन्य मेंबर्स के ग्रुप छोड़ने बाद जुनैद ग्रुप का एडमिन बन गया।
तो ग्रुप का सेकंड मैंबर एडमिन बन जाता है
व्हॉट्सएप में ऐसी कोई सेटिंग नहीं है, जिससे यह स्थाई रहे कि ग्रुप बनाने वाला पहला एडमिन ही इसे संचालित कर सकता है। दरअसल, व्हॉट्सएप में ग्रुप से ज्यादा सूचनाओं को साझा करने पर जोर होता है, इसलिए ग्रुप क्रिएशन और एडमिन को लेकर ज्यादा फीचर्स व्हॉट्सएप में नहीं हैं। ग्रुप बनने के बाद यदि मुख्य एडमिन ग्रुप छोड़ देता है तो ऑटोमेटिकली ग्रुप का सेकंड मैंबर एडमिन बन जाता है। इसके लिए व्हॉट्सएप आपको भी ग्रुप से हटने की इजाजत देता है। यदि आप भी एडमिन नहीं रहना चाहते हैं तो ग्रुप छोड़ सकते हैं।
ग्रुप का एडमिन बनना हो सकता खतरनाक
ग्रुप का एडमिन बनना खतरनाक हो सकता है। यदि आप भी किसी ग्रुप से जुड़े हुए हैं तो जागरूक रहें, क्योंकि आपकी जरा सी चूक आपको जेल भिजवा सकती है। यदि बाय डिफॉल्ट भी आप ग्रुप एडमिन बन जाते है, तब भी आप जिम्मेदार होंगे - जलज पुरोहित, साइबर एक्सपर्ट
डिफॉल्ट एडमिन होने का सबूत देना होगा
ऐसे मामलों में काफी कठोर कानून हैं। गलती से यदि कोई एडमिन बन गया है तो इस बात का सबूत देना होगा। यदि कोई डिफॉल्ट से ग्रुप एडमिन बन जाता है, तो उसे सावधानी बरतनी चाहिए। अव्वल तो ग्रुप से लेफ्ट होना चाहिए। लेफ्ट नहीं हो सके तो संदेशों को फॉरवर्ड करने में बेहद सतर्कता बरतना चाहिए। साइबर सेल यह तथ्य खोज लेती है कि ग्रुप में कुल कितने मेम्बर्स थे। वह वाकई ग्रुप एडमिन था या डिफॉल्ट से एडमिन बन गया - योगेश पंडित, साइबर एक्सपर्ट