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कर्तव्य पथ के अस्तित्व में आने के बाद अमृत काल में कब हटेंगे परतंत्रता के चिन्ह?

Kartavya Path News गुलामी के ऐसे कई चिन्ह देश की राजधानी में अब भी बने हुए हैं। कर्तव्य पथ के अस्तित्व में आने के बाद क्या ये उम्मीद की जानी चाहिए कि अमृत काल में परतंत्रता के इन प्रतीकों को हटाया जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 10 Sep 2022 10:27 AM (IST)Updated: Sat, 10 Sep 2022 10:27 AM (IST)
कर्तव्य पथ के अस्तित्व में आने के बाद अमृत काल में कब हटेंगे परतंत्रता के चिन्ह?
Kartavya Path News: कर्तव्य पथ के पांच किलोमीटर के दायरे में गुलामी के कई निशान अब भी

अनंत विजय। Kartavya Path News स्वाधीनता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री ने देश की जनता से अमृत काल में पांच प्रण का आह्वान किया था। उसमें से एक प्रण था गुलामी के अंश की समाप्ति। इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन को जोड़ने वाली सड़क का नाम कर्तव्य पथ किया गया। इसके लान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी जगह लगाई जहां जार्ज पंचम की प्रतिमा थी तो इसको प्रधानमंत्री के गुलामी के अंश की समाप्ति के आह्वान से जोडा गया। लेकिन कर्तव्य पथ के चार से पांच किलोमीटर के दायरे में गुलामी के कई निशान अब भी हैं। इंडिया गेट से निकलने वाली सड़कें आक्रांताओं के नाम पर हैं। अकबर रोड से लेकर हुमांयू और शाहजहां रोड तक। औरंगजेब रोड का नाम तो बदला लेकिन औरंगजेब लेन अब भी है। यहां से थोड़ी दूर बंगाली मार्केट के पास बाबर रोड और बाबर लेन मुगल आक्रांताओं की याद दिलाता रहता है।

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हुमांयू को कई इतिहासकार उदार बादशाह के रूप में देखते हैं। लेकिन उसने भारतीय संस्कृति को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया। भारतीय कलाओं को नेपथ्य में धकेलकर फारसी कलाओं को प्राथमिकता दी। फारस से वास्तुविद और चित्रकार आदि हिन्दुस्तान बुलाए। कहा जा सकता है कि भारत में सांस्कृतिक स्लतनत की स्थापना हुमांयू ने की। मुगल सल्तनत को मजबूती प्रदान करने के लिए जासूसी का पूरा तंत्र विकसित करनेवाले मिर्जा नजफ खां के नाम पर भी एक सड़क है जो लोदी कालोनी के बाहर से निकलती है। जिस तुगलक राजवंश ने देश की जनता पर भायनक अत्याचार किया, अकाल के समय जनता को लूटा उसके नाम पर तुगलक रोड, तुगलक लेन और तुगलक क्रेसेंट अपनी मौजूदगी से उनके अत्याचारों की याद दिलाता है।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुगलों और उनके कर्मचारियों के नाम पर नई दिल्ली इलाके में सड़कें हैं। उन अंग्रेजों के नाम पर भी सड़कें हैं जिन्होंने हमारे देश को गुलाम बनाने और गुलाम बनाए रखने में भूमिका निभाई। हिन्दुस्तान के विभाजन की जमीन तैयार करनेवाले और देश में सांप्रदायिकता का बीज बोने वाले चेम्सफोर्ड के नाम पर भी सड़क है। एक और अंग्रेज अफसर था जिसका नाम था विलियम मैल्कम हेली था। 1912 में दिल्ली का कमिश्नर नियुक्त हुआ था। उसको जनता के बीच ब्रिटिश राज की स्वीकार्यता बढ़ाने का काम सौंपा गया था। उसने चतुराई से ये कार्य किया। उसके नाम पर हेली रोड है। गुलामी के ऐसे कई चिन्ह देश की राजधानी में अब भी बने हुए हैं। कर्तव्य पथ के अस्तित्व में आने के बाद क्या ये उम्मीद की जानी चाहिए कि अमृत काल में परतंत्रता के इन प्रतीकों को हटाया जाएगा।


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