पाकिस्तान पर FATF से ब्लैकलिस्ट होने पर पड़ेगा ये असर, बिंदुवार जानें इसका पूरा ब्योरा
एफएटीएफ में पाकिस्तान के मसले पर अहम बैठक हो चुकी है। अब केवल इसपर फैसला आना है। यदि इस संस्था ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया तो जानिए इसका क्या होगा असर।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पेरिस में चल रही एफएटीएफ की बैठक पाकिस्तान के लिए डर का सबब बनी हुई है। 13-18 अक्टूबर तक चलने वाली इस बैठक में पाकिस्तान पर चर्चा हो चुकी है। माना जा रहा है कि एफएटीएफ पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को होने वाली फंडिंग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है। लिहाजा उसको डार्क ग्रे-लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है। बहरहाल आपको बता दें कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ को अपना पक्ष बता दिया है।
गौरतलब है कि अगस्त में जब एशिया पेसेफिक ग्रुप की बैठक हुई थी तब से अब तक पाकिस्तान इसी जद्दोजहद में था कि वह किसी तरह से ब्लैकलिस्ट होने से बच जाए। फिलहाल इसकी संभावना काफी कम ही दिखाई दे रही है। पाकिस्तान पर एफएटीएफ क्या फैसला लेगी इसका पता 18 अक्टूबर को उस वक्त चलेगा जब इसके अध्यक्ष मीडिया से रूबरू होकर इसकी जानकारी को साझा करेंगे।
हम आपको यहां पर बता दें कि यदि पाकिस्तान को इस बैठक के बाद ब्लैकलिस्ट किया जाता है तो उसकी आर्थिक कमर बुरी तरह से टूट जाएगी। यह फैसला पाकिस्तान के लिए जहां बेहद बुरा साबित होगा वहीं ऐसा होने पर उसके आतंकी संगठनों से रिश्ते फिर पूरी दुनिया के सामने उजागर हो जाएंगे। आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्तान लगातार भारत पर आरोप लगाता रहा है कि वह उसको ब्लैकलिस्ट करवाने पर तुला है, जबकि इसकी हकीकत कुछ और ही है।
आइए, अब पेरिस में चल रही बैठक और कालीसूची के मायने को बिंदुवार जान लेते है:-
- एपीजे के बताए 40 पैरामीटर में से 39 को पूरा करने में विफल रहा है पाकिस्तान।
- आतंकवाद को पाकिस्तान से हो रही फंडिंग को रोकने के लिए जो कदम पाकिस्तान की तरफ से कथिततौर पर उठाए गए उस पर यही ग्रुप निगाह रखे था।
- एफएटीएफ की काली सूची में पहले से शामिल हैं ईरान और उत्तर कोरिया।
- यदि पाकिस्तान को इस सूची में डाला जाता है तो पाकिस्तान के लिए कर्ज हासिल करना मुश्किल होगा।
- काली सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान में विदेश निवेश के दरवाजे भी बंद हो जाएंगे।
- काली सूची में डाले जाने के बाद वैश्विक वित्तीय संस्थाएं पाकिस्तान की रेटिंग कम कर देंगी, जिसके बाद वहां पर विदेशी कंपनियों के लिए निवेश करना मुश्किल हो जाएगा।
- काली सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान से वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ से भी पैसा लेना मुश्किल होगा। वहींं चीन भी उसको कर्ज देने से इंकार कर सकता है।
- पाकिस्तान फिलहाल आर्थिक तंगी से उबरने के लिए आईएमएफ और सऊदी अरब से छह अरब डॉलर का कर्ज लेने की कोशिश में लगा हुआ है। काली सूची में शामिल हो जाने के बाद उसकी यह कोशिशें बेकार साबित होंगी। यदि पाकिस्तान को एफएटीएफ काली सूची में शामिल करता है तो पाकिस्तान में चल रहे चीन के प्रोजेक्ट भी प्रभावित होंगे।
- एफएटीएफ द्ववारा काली सूची में शामिल किए गए देशों के वित्तीय लेन-देन पर बेहद बारीकी से नजर रखी जाती है।
- पूर्व में पाकिस्तान आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलेपमेंट बैंक, से कर्ज लेता रहा है।
- एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान तुर्की समेत मलेशिया का समर्थन लेकर इस कोशिश में है कि उसको किसी तरह से 2020 तक का समय मिल जाए।
- पाकिस्तान ने काली सूची में नाम डाले जाने के डर से कथिततौर पर अपने यहां मौजूद 66 आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित किया है। इसके साथ ही उसने सात हजार से अधिक लोगों को एंटी टेररिज्म एक्ट के तहत बनी सूची में डाला है।
- इसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने जैश मुखिया मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया था। इससे पहले चीन की वजह से पाकिस्तान लगातार उसको बचाने में कामयाब होता रहा था।
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