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आजादी के वक्‍त कैसे होती थी प्रधानमंत्री की सुरक्षा? PM की सुरक्षा में राज्‍य सरकार का क्‍या है रोल? जानें- एक्‍सपर्ट व्‍यू

आजादी के बाद 1947 के जब पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने तब देशभर में वह खुली कार में यात्रा करते थे। नेहरू काफी लोकप्रिय नेता जरूर थे लेकिन उन्हें भी विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ता था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 09 Jan 2022 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 09:12 AM (IST)
आजादी के वक्‍त कैसे होती थी प्रधानमंत्री की सुरक्षा? PM की सुरक्षा में राज्‍य सरकार का क्‍या है रोल? जानें- एक्‍सपर्ट व्‍यू
आजादी के समय क्‍या था PM सिक्यूरिटी का प्रोटोकाल। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। देश में प्रधानमंत्री की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा रहा है। आजादी के बाद से ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा में काफी बदलाव हुए हैं। हाल में पंजाब दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के काफ‍िलें के भीड़ में फंसने के बाद एक बार फ‍िर से प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर चर्चा शुरू हो गई है। आपके मन में भी यह जिज्ञासा होगी कि आखिर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में राज्‍य सरकार की या स्‍थानीय प्रशासन की क्‍या भूमिका होती है ? इसके लिए राज्‍य प्रशासन कहां तक जिम्‍मेदार होता है ? प्रधानमंत्री की यात्रा के समय राज्‍य सरकार या स्‍थानीय प्रशासन की क्‍या तैयारियां होती है ? इन तमाम सवालों पर पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने बेबाक उत्‍तर दिए। आइए जानते हैं उनके जवाब।

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क्या होती है राज्य सरकार की भूमिका?

1- पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री देश के किसी हिस्‍से में यात्रा कर रहे हैं तो उनके साथ चल रही एसपीजी टीम के अलावा उस स्‍टेट का पूरा तंत्र काम करता है। प्रधानमंत्री के पहुंचने के कई दिन पहले स्‍थानीय प्रशासन के साथ राज्‍य के कई आला अफसरों की टीम उनकी सुरक्षा में जुट जाती है। उनकी यात्रा से पहले सुरक्षा का रिहर्सल किया जाता है। आपात स्थिति से निपटने के लिए कई तरह के विकल्‍पों को तैयार किया जाता है। इस क्रम में दो मार्ग का भी विकल्‍प रखा जाता है। यह सभी जिम्‍मेदारियां राज्‍य सरकार स्‍थानीय प्रशासन के साथ मिलकर करती हैं।

2- प्रधानमंत्री का सुरक्षा घेरा बनाए रखना एसपीजी की जिम्‍मेदारी होती है। इसके अलावा सभी इंतजाम राज्‍य पुलिस को करने होते हैं। पीएम की यात्रा से पहले ही एसपीजी की टीम उक्‍त राज्‍य में पहुंच जाती है। इसके अलावा सिक्‍यूरिटी ब्‍यूरो राज्‍य पुलिस और स्‍थानीय प्रशासन के सहयोग से सुरक्षा मुहैया करता है। राज्‍य पुलिस की जिम्‍मेदारी होती है कि वह प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए रूट क्‍लीयर करे। इसके साथ घटना स्‍थल पर सुरक्षा मुहैया कराना राज्‍य पुलिस की जिम्‍मेदारी है। इसके अलावा पीएम की यात्रा की निगरानी करना और किसी भी बाधा को तुरंत हटाना यह भी राज्‍य सरकार के जिम्‍मे है।

3- पूर्व डीजीपी ने कहा कि पीएम की यात्रा के लिए वैकल्पिक रास्‍ते भी तैयार रखे जाते हैं। उनके ठहरने की भी वैकल्पिक व्‍यवस्‍था की जाती है। प्रधानमंत्री के हेलीकाप्‍टर से यात्रा करते समय मौसम का अनुमान लगाया जाता है। यह सभी नियम एसपीजी की ब्‍लूबुक में निर्धारित किए गए हैं। एसपीजी देश की सुरक्षा एजेंसियों में शामिल है और प्रधानमंत्री को सुरक्षित रखने के लिए एसपीजी के पास चार सौ करोड़ रूपये से अधिक का सालाना बजट निर्धारित होता है। पीएम के आगमन और प्रस्‍थान को लेकर एक आपात रणनीति भी तय की जाती है। कार्यक्रम स्‍थल पर पीएम को हेलीकाप्टर से जाना है तो कैसे जाएंगे, इसके अलावा अगर आकस्मिक परिस्थितियों में यदि सड़क से जाना पड़ा तो उनका काफि‍ला कैसे जाएगा। इसका पूरा खाका पीएम के आगमन के पहले ही तैयार कर लिया जाता है। प्रधानमंत्री के काफिले की रवानगी से लगभग 10 मिनट पहले आरओपी यानी रोड ओपनिंग टीम संबंधित रूट पर जाती है। इसमें स्थानीय पुलिस के जवान और उच्‍च अधिकारी भी होते हैं।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कैसे आया बदलाव?

1- पूर्व डीजीपी ने कहा कि आजादी के बाद 1947 के जब पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने तब देशभर में वह खुली कार में यात्रा करते थे। नेहरू काफी लोकप्रिय नेता जरूर थे, लेकिन उन्हें भी विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ता था। उस वक्‍त प्रधानमंत्री की सुरक्षा स्‍थानीय प्रशासन द्वारा ही तय कर दी जाती थी, लेकिन समय के साथ इसमें काफी बदलाव आया है। 1967 में जब एक सभा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर पत्थर फेंके गए तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर पहली बार सवाल उठे। प्रधानमंत्री की सुरक्षा बढ़ाई गई, लेकिन प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर निर्णायक मोड़ 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आया।

2- इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद वर्ष 1985 में प्रधानमंत्री की सुरक्षा करने के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की स्थापना कर दी गई थी। वर्ष 1988 में संसद में एसपीजी एक्ट पारित किया गया था। पीएम जब चलते हैं तो उनके अगल-बगल काला सफारी सूट, काले चश्मे और हाथ में हथियार लिए लोगों का काफ‍िला चलता है। इनके पास वाकी-टाकी होता है। इनके कान में इयरपीस लगा होता है। यह दल एसपीजी अधिकारियों का होता है। एसपीजी के ये जवान कई तरह के विशेष प्रशिक्षण से हो कर गुजरते हैं। उन्हें खास तौर पर इस काम के लिए तैयार किया जाता है। उनकी जिम्मेदारी देश के प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजनों को सुरक्षा देना है।


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