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Coronavirus: क्या है हांगकांग के बचाव का मॉडल, सरकार ने क्या किया और कैसे उठाए कदम

COVID-19 यह अगली महामारी या आपदा के लिए मॉडल नहीं है बल्कि यह हमें समझने का मौका देता है कि ऐसे मौके पर हमें क्या करना है और क्या नहीं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 09:34 AM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 02:54 PM (IST)
Coronavirus: क्या है हांगकांग के बचाव का मॉडल, सरकार ने क्या किया और कैसे उठाए कदम
Coronavirus: क्या है हांगकांग के बचाव का मॉडल, सरकार ने क्या किया और कैसे उठाए कदम

नई दिल्ली, जेएनएन। COVID-19: हांगकांग की रणनीति दुनिया में सबसे अच्छी दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की सबसे बेहतरीन रणनीति खोजना चाहते हैं, जो सभी देशों के लिए आदर्श हो। भविष्य में ऐसी कोई महामारी या आपदा आए तो जिसका पालन तुरंत हो सके।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नेतृत्व में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रोपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम), जिनेवा स्थित कॉम्पलेसिटी साइंस हब (सीएसएच) समेत स्वास्थ क्षेत्र में कार्यरत कई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के विशेषज्ञों को शामिल किया गया। हालांकि अंत में दुनियाभर के गणित के विशेषज्ञों ने भी माना कि शारीरिक दूरी और स्वच्छता रखकर ही कोरोना को हराया जा सकता है।

क्या है शोध में : शोधकर्ताओं ने गणित पर आधारित मॉडल बनाया है। 52 देशों को शोध में शामिल किया गया। पहला संक्रमित मिलने, पहले कोरोना संक्रमित की मौत के बाद किस तरह के कदम उठाए गए जैसे 13 आधार पर यह शोध किया गया। अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, स्पेन जैसे अमीर देशों को शोध में शामिल किया गया। मगर बाजी मारी 75 लाख की जनसंख्या वाले हांगकांग ने वहां कोरोना से चार संक्रमितों की मौत हुई है।

हांगकांग ने पहला मरीज मिलने के साथ ही लॉकडाउन जैसा कदम उठा लिया, जबकि अमेरिका ने पहली मौत के दो हफ्ते बाद लोगों को अपने-अपने घरों में रहने की हिदायत दी। गणित के इस मॉडल ने साफ कर दिया कि दोनों देशों की रणनीति किस कदर सफल या असफल रहीं। नेचर के अनुसार एक देश ने चार मौतें हुईं और अब वह सामान्य जनजीवन की तरह कुछ पाबंदियों के साथ लौट रहा है, जबकि अमेरिका में 61 हजार के आंकड़े को पार कर चुका है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में महामारी के समय हांगकांग का मॉडल पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। शोध में आर्थिक रूप से कमजोर देशों को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि उनके पास काफी कम विकल्प थे।

कैसे सरकारों ने उठाए कदम : एलएसएचटीएम विशेषज्ञ क्रिस ग्रुंडी के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में शोध हुआ, जिसने पता लगाया कि कब और कैसे सरकारों ने हस्तक्षेप (कोई फैसला) किया। 100 से ज्यादा ऐसे हस्तक्षेप परखे गए। 1,100 स्वयंसेवक डाटा जुटाने में जुटे। 52 देशों में 170 तरह के फैसले किए गए, जिनका कोरोना प्रसार पर प्रभाव पड़ा। इनमें शारीरिक दूरी के नियम को लागू करने से लेकर स्कूल-कॉलेज बंद करने जैसे फैसले शामिल थे।

यूरोप का हाल : स्वीडन, ब्रिटेन और नीदरलैंड्स जैसे देशों ने देर से कदम उठाए। निर्णय प्रक्रिया में इन देशों को देर लगी। महामारी के शुरुआती दिनों में इन तीनों देशों ने हर्ड इम्युनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) के सिद्धांत पर भरोसा किया, जिसमें बड़ी आबादी को काम करने की स्वतंत्रता दी गई। हालात बिगड़ने पर

ब्रिटेन और नीदरलैंड्स ने आक्रामक रुख अपनाया और लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया। वहीं जर्मनी और ऑस्ट्रिया ने पहले से ही सख्ती की। इटली, फ्रांस और स्पेन का रवैया शुरुआत में गंभीर नहीं था।

शोधकर्ताओं ने ‘कठोरता का इंडेक्स’ बनाया। इसमें कोरोना के कारण हर देश में पैदा हुए हालात और वहां उठाए गए कदमों को परखा गया। इंडेक्स में सात उपायों को फोकस में रखा गया, इनमें स्कूल-कॉलेज बंद करने से लेकर यात्रा प्रतिबंध तक शामिल थे। साथ ही पता लगाया कि इन्हें कितनी सख्ती से लागू किया गया। 100 अलग-अलग फैसलों को इंडेक्स में शामिल किया है।

हांगकांग ने क्या किया : सख्त निगरानी, क्वारंटाइन, शारीरिक दूरी के साथ मास्क को अनिवार्य कर दिया। स्कूलकॉलेज पहला मरीज मिलते ही बंद कर दिए गए। सार्वजनिक स्थानों को जबर्दस्त तरीके से सैनिटाइज किया गया। वहीं अमेरिका ने शुरुआत से ही लचर रवैया दिखाया। यात्रा प्रतिबंध से लेकर स्कूल-कॉलेज को बंद करने में देरी की।

  • इटली : 11 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई
  • ब्रिटेन : हालात बिगड़ने पर 23 मार्च को लॉकडाउन किया गया
  • हांगकांग : सख्त निगरानी जैसे कदम जनवरी में ही उठा लिए गए
  • स्वीडन : कभी लॉकडाउन नहीं किया है। रेस्त्रां और बार भी खुले रखे गए
  • फ्रांस : लॉकडाउन 17 मार्च से लागू किया गया, तब तक हालात बिगड़ गए थे
  • अमेरिका : देरी से फैसले किए गए, ज्यादातर राज्यों ने लोगों को घरों में रहने को कहा
  • दक्षिण कोरिया : शारीरिक दूरी के साथ कुछ व्यापारिक गतिविधियों को बंद कर दिया गया
  • चीन : हुबेई में ज्यादा सख्ती हुई, जबकि पूरे चीन में उतने सख्त फैसले लागू नहीं किए गए
  • जर्मनी : फरवरी की शुरुआत में ही स्कूल बंद कर दिए गए। जर्मनी ने टेस्टिंग पर काफी जारी दिया

यह अगली महामारी या आपदा के लिए मॉडल नहीं है, बल्कि यह हमें समझने का मौका देता है कि ऐसे मौके पर हमें क्या करना है और क्या नहीं। हर देश के हालात अलग होते हैं, ऐसे में हमें एक मानक मॉडल बनाने में दिक्कत आई। इससे देशों को रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।

रोसलिंड एगो, एलएसएचटीएम की विशेषज्ञ


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