लश्कर को लेकर क्या अमेरिका कर रहा है ढिलाई!
पाकिस्तान के कई समाचार टीवी चैनल इसे वहां की सरकार की कूटनीतिक सफलता के तौर पर पेश कर रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: हाल के दिनों में पाकिस्तान में पनाह लिये आतंकी संगठनों के खिलाफ बेहद सख्ती दिखा रहे अमेरिकी प्रशासन ने एक ऐसा कदम उठाया है जो भारत को झटका दे सकता है। यह कदम पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के खिलाफ उठाये जाने वाले कदमों के बदले मिलने वाले अमेरिकी अनुदान से जुड़ा हुआ है।
अभी तक अमेरिका अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधि चलाने वाले हक्कानी नेटवर्क और भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तैयबा (एलइटी) के खिलाफ पाकिस्तानी कार्रवाई के आधार पर ही उसे अनुदान देता था। लेकिन अब जो नया प्रस्ताव पारित किया गया है उसमें सिर्फ हक्कानी नेटवर्क का नाम है।
पाकिस्तानी राजनीति में जड़ जमाने की कोशिश में जुटे एलईटी के मुखिया हाफीज सईद के लिए यह कदम मददगार साबित हो सकता है। भारत ने आधिकारिक तौर पर इस पर प्रतिक्रिया नहीं जताई है लेकिन कूटनीतिक सर्किल में यह बात माना जा रहा है कि अमेरिकी कांग्रेस में पेश प्रस्ताव से आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुहिम को धक्का लग सकता है।
उधर, पाकिस्तान की मीडिया व हुक्मरान अमेरिका के इस प्रस्ताव को अपनी भारी जीत के तौर पर पेश कर रहे हैं। पाकिस्तान के कुछ प्रमुख समाचार पत्रों ने कहा है कि यह बताता है कि अमेरिका के लिए सिर्फ अफगानिस्तान में आतंकवाद ही महत्वपूर्ण है और वह कश्मीर समस्या को अलग करके देखता है।
डॉन अखबार ने लिखा है कि अमेरिका अब सिर्फ अपनी हितों की बात कर रहा है और स्पष्ट है कि वह दक्षिण एशिया में भारतीय हितों को बढ़ावा नहीं दे रहा है। पाकिस्तान के कई समाचार टीवी चैनल इसे वहां की सरकार की कूटनीतिक सफलता के तौर पर पेश कर रहे हैं।
कई जानकार यह भी मान रहे हैं कि पाकिस्तान सरकार को घरेलू राजनीति में फेस सेविंग का मौका देने के लिए अमेरिकी प्रशासन ने प्रस्ताव में एलईटी का नाम नहीं दिया है। अमेरिका अभी पाकिस्तान सरकार को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकता क्योंकि उसके हजारों सैनिक अभी भी अफगानिस्तान में तैनात हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि जब प्रस्ताव पेश किया गया था जब उसमें साफ तौर पर हक्कानी समूह के साथ ही लश्कर-ए-तैयबा का जिक्र था। अब इसमें क्या संशोधन हुआ है, इसे नए सिरे से देखना होगा। लेकिन इससे इस सच्चाई पर पर्दा नहीं डाला सकता कि अमेरिका ने एलईटी को एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी श्रेणी में रखा हुआ है और उसके मुखिया हाफिज सईद को आतंकवादी मानता है।
सनद रहे कि अमेरिका कांग्रेस में पेश प्रस्ताव के मुताबिक जब यह साबित हो जाएगा कि पाकिस्तान सरकार या उनकी कोई एजेंसी हक्कानी नेटवर्क की गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देती हैं तभी उसे आवंटित अनुदान राशि का भुगतान किया जाएगा।
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