विकास दर के मामले में पश्चिम बंगाल अव्वल, गोवा फिसड्डी, जानिए- अन्य राज्यों की स्थिति
वैश्विक और घरेलू कारणों के चलते देश की विकास दर भले ही 5 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई हो लेकिन राज्यों की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार बरकरार है।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। वैश्विक और घरेलू कारणों के चलते देश की विकास दर भले ही 5 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई हो, लेकिन राज्यों की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार बरकरार है। हाल यह है कि वित्त वर्ष 2018-19 में चार राज्यों के जीएसडीपी की सालाना वृद्धि दर 10 फ़ीसद से ऊपर रही है। खास बात यह है अब तक पिछड़ते रहे पश्चिम बंगाल ने वित्त वर्ष 2018-19 में 12.58 प्रतिशत विकास दर हासिल की है जो सब राज्यों में सर्वाधिक है। वहीं गोवा, पंजाब और उत्तर प्रदेश विकास दर के मामले में निचले पायदान पर रहे हैं।
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 18 राज्यों और दो केंद्र शासित क्षेत्रों की विकास दर के आंकड़े सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जिन्हें संबंधित प्रदेश सरकारों के आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय से जुटाया गया है। हालांकि, अरुणाचल प्रदेश, असम, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा सहित 11 राज्यों तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह और चंडीगढ़ सहित दो संघ शासित क्षेत्रों की विकास दर के अनुमान अब तक उपलब्ध नहीं है।
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जिन प्रदेशों की विकास दर के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें चार राज्यों- पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार और तेलंगाना की विकास दर 10 फ़ीसद से अधिक रही है। पश्चिम बंगाल की विकास दर 12.58 प्रतिशत रही है जो सब राज्यों में सर्वाधिक है। संभवत यह पहला मौका है जब बंगाल की विकास दर दहाई के अंक में पहुंची है। वित्त वर्ष 2017-18 में बंगाल की विकास दर 8.88 प्रतिशत थी। पश्चिम बंगाल की विकास दर में उछाल से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि 2 साल बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं।
विकास दर के मामले में बंगाल के बाद दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है देश की आर्थिक वृद्धि दर 11.02 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2017-18 में भी आंध्र प्रदेश की विकास दर का आंकड़ा लगभग इतना ही था। इसी तरह तीसरे नंबर पर बिहार ने 10.53 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। वित्त वर्ष 2017-18 में भी बिहार की विकास दर दहाई के अंक में थी।
दूसरी ओर, वित्त वर्ष 2018-19 में सबसे कम विकास दर गोवा(0.47 प्रतिशत), पंजाब (5.91 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (6.08 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (6.46 प्रतिशत) और उत्तराखंड (6.87 प्रतिशत) की रही है। राज्यों की विकास दर की तेज रफ्तार इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल के वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़ी है। वित्त वर्ष 2018-19 में देश की विकास दर 5 साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत पर आ गई है। चालू वित्त वर्ष में भी इसके 7 प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान है।
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