Move to Jagran APP

Weird Traditions of Indian Tribes: शादी करनी है तो चोरी करो, पुलिस से बचना है तो भजन!

Weird Traditions of Indian Tribes भारत में कई ऐसी जनजातियां हैं जो अपराध करने के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। वक्त-वक्त पर इनकी चौंकाने वाली कहानियां सामने आती रहती हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 04:02 PM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 08:27 AM (IST)
Weird Traditions of Indian Tribes: शादी करनी है तो चोरी करो, पुलिस से बचना है तो भजन!
Weird Traditions of Indian Tribes: शादी करनी है तो चोरी करो, पुलिस से बचना है तो भजन!

सतीश पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों की पुलिस की नाक में दम कर देने वाले नट समुदाय में अजीब परंपरा है। समुदाय के पुरुष जब तक चोरी, उठाईगिरी, लूट, चेन स्नैचिंग आदि वारदातें नहीं करते, समाज में न तो प्रतिष्ठा मिलती है, न ही कोई लड़की देने को तैयार होता है। यानी शादी करने और प्रतिष्ठा पाने के लिए समुदाय के हर युवक को अपराध के रास्ते पर चलना ही पड़ता है। वहीं दूसरी ओर समुदाय की महिलाएं गांव में पुलिस न आए और पुरुषों का काम तेजी से चलता रहे, इसके लिए मंदिरों में भजन-कीर्तन कर ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।

loksabha election banner

छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर में बसे आदिवासी बहुल सरगुजा जिले के बनेया गांव, जशपुर जिले के कापू क्षेत्र का कणराजा और पत्थलगांव का झकड़पुर गांव दरअसल नटों की बस्तियां हैं। नट समुदाय के बीच मान्यता है कि उनके पूर्वज लुटेरे व उठाइगीर थे, लिहाजा यह उनका पुश्तैनी कार्य है, जिसे करना ही है। इतना ही नहीं, यह भी माना जाता है कि जो जितनी ज्यादा वारदात करेगा, उसकी शादी उतनी जल्दी होगी। इन गांवों के बसंत नट, मोती नट, राजू नट, मुकुंद नट, मंजय नट, विजय नट आदि अंतरराज्यीय उठाइगीर हैं। ऐसे ही सैकड़ों नट देश के विभिन्न् हिस्सों में वारदात को अंजाम देते रहते हैं।

सामाजिक रुतबे के लिए करते हैं अपराध
उठाईगिरी, लूट, चोरी आदि वारदातें नहीं करने वाले नट को समाज में घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। अपराध करने पर ही समाज उन्हें स्वीकार करता है। जो जितना अधिक अपराध करता है, समाज में उसका रुतबा भी उतना अधिक होता है। अपराध के स्तर के आधार पर समाज में इनका प्रभाव बनता है, इसीलिए ये छोटी वारदातों के बजाय बड़े अपराधों को अंजाम देते हैं।

लूट के पैसे से बनवाया मंदिर
विजय नट ने लूट के पैसों से गांव में तीन देवी मंदिर बनवा रखा है। यहां नियमित रूप से भजन-कीर्तन होता है, ताकि पुलिस गांव तक न पहुंचे। बारिश छोड़ अन्य मौसम में महिलाएं ही भजन करती हैं। संयोगवश इस दौरान कभी पुलिस पहुंच भी गई तो महिलाएं झगड़े पर उतारू हो जाती हैं। समाज के सौ फीसद लोगों का जीवनयापन अपराध के जरिए ही होता है। बसंत नट और उसका बेटा मोती नट अंतरराज्यीय उठाईगीर हैं।

बारिश छोड़ आठों महीने काम
पुरुष नट केवल बारिश के दिनों में ही गांवों में रहते हैं। बाकी समय वे देशभर में घूम-घूमकर वारदात करते हैं। इस दौरान घर में केवल महिलाएं रहती हैं। क्षेत्र में लंबे समय तक पदस्थ रह चुके पुलिस अफसरों का कहना है कि नट समुदाय के शातिर अपराधियों को पकड़कर जेल भी भेजा जाता है। लेकिन छूटते ही वे फिर से पुश्तैनी काम में जुट जाते हैं।

महानगरों तक पैठ
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत अन्य महानगरों में भी नट गिरोह के सदस्य लगातार वारदात को अंजाम देते आ रहे हैं। पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए ये अपने ठिकाने भी बदलते रहते हैं। नट गिरोह का सरगना फिलहाल बसंत नट है। बड़े अपराधों को अंजाम देने के लिए ये टीम बनाकर काम करते हैं।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.