यहां नीम के पेड़ से मिलता है शादियों का न्योता, जानिए इस अनूठी परंपरा के बारे में
शादी का कार्ड देने के कई तरीके आपने देखे होंगे। ज्यादातर लोग खुद ही कार्ड बांटते हैं।
देवेंद्र गौड़ सोंईकला, जेएनएन। शादी का कार्ड देने के कई तरीके आपने देखे होंगे। ज्यादातर लोग खुद ही कार्ड बांटते हैं। युवा पीढ़ी अब वाट्सएप पर ही कार्ड भेज देती है, लेकिन मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के ददूनी गांव में शादी का न्योता देने की अनूठी परंपरा है। गांव के नीम के एक पेड़ पर शादी का कार्ड रख दिया जाता है। कार्ड में जिस-जिस के नाम लिखे होते हैं, वह न्योते को स्वीकार कर शादी में शामिल होते हैं।
दो भाइयों ने बनाई परंपरा
ददूनी गांव में 140 से ज्यादा परिवार हैं। गांव में बहुत पुरानी अथाई (पंचों का चबूतरा) है, जिस पर नीम का पेड़ लगा है। इसी पेड़ पर तारों की एक डलिया बनाई गई है। गांव में अगर किसी के यहां शादी है तो उस घर के सदस्य घर-घर जाकर कार्ड नहीं देते बल्कि जिन-जिन को न्योता देना है, उनके नाम लिखकर शादी के कार्ड को नीम के पेड़ की डलिया में रख देते हैं। इस परंपरा की शुरुआत 15 साल पहले दो बुजुर्ग भाइयों जगन्नाथ जाट और रामस्वरूप जाट ने की थी। अगर दूसरे गांव, कस्बे या शहर का भी कोई व्यक्ति शादी का कार्ड पेड़ पर रखता है तो उसे भी स्वीकार किया जाता है। अगर किसी को पूरे गांव को निमंत्रण देना है तो पंच, मुखिया के नाम के बाद बाल गोपाल परिवार लिख देते हैं। ऐसे में पूरा गांव चूल (सपरिवार) न्योता मान लेता है।
पेड़ टूटा पर परंपरा नहीं
ददूनी की अथाई पर करीब सवा सौ साल पुराना नीम का पेड़ था। 2011 में आंधी और तेज बारिश के कारण यह पेड़ टूट गया था। इसके बाद ग्रामीणों ने यहीं नीम का नया पौधा रोपा। यह पौधा छोटा था, तब भी इसके किनारे कार्ड रख दिए जाते थे।
अथाई का महत्व बरकरार रखने के लिए बनाई परंपरा
ददूनी गांव में पंचों की अथाई का बड़ा सम्मान और महत्व है। गांव के हर विवाद इसी अथाई से सुलझते रहे हैं। दशकों से यहां बैठे पंचों ने जो फैसला किया, वह सर्वमान्य रहा। आधुनिकता और लोगों की व्यस्तता में भी अथाई का महत्व बना रहे इसीलिए इस परंपरा को शुरू किया गया। हमारे गांव में घर-घर कार्ड नहीं आते। अथाई पर आए कार्ड से लोग न्योता स्वीकार कर लेते हैं। गांव बड़ा है।
अब तो पहचान वाले लोगों को लोग फोन करके बता देते हैं कि आपका कार्ड आया है। ददूनी के ग्रामीण अजपल सिंह जाट का कहना है कि गांव में जिसके यहां शादी है, वह कार्ड अथाई के पेड़ पर रख जाता है। लोग नाम पढ़कर अपना न्योता मान लेते हैं। दूसरे गांव या शहर से आने वाले लोग हमें कार्ड दे जाते हैं। हम पेड़ पर रख देते हैं।
परंपरा शुरू करने वाले बुजुर्ग रामस्वरूप जाट का कहना है कि अथाई व पंचों का सम्मान बना रहे, इसलिए यह परंपरा शुरू की गई है। इसके लिए हमने तो विचार दिया था। गांव में सद्भाव ऐसा है कि लोगों ने इसे स्वीकारा और डेढ़ दशक से पालन कर रहे हैं।