Weather Updates: मौसम के रुख में दिखे बदलाव के संकेत, 45 साल में 28 बार देर से लौटा मानसून
शेष देश से मानसून वापसी की सामान्य तारीख से 13 दिन बाद 28 अक्टूबर को वापस चला गया। पूर्व में मानसून वापस जाने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर थी जिसे अब संशोधित करके 17 अक्टूबर कर दिया गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 45 साल में मानसून देश से 28 बार देरी से वापस गया है जिससे मौसम के रुख में बदलाव के संकेत मिलते हैं। 1975 से 2020 तक सिर्फ चार बार (1978, 1979, 2001 और 2008) मानसून देश से 15 अक्टूबर को वापस गया है जो पिछले साल तक इसके वापस जाने की सामान्य तारीख थी।
केरल में मानसून पहुंचने की सामान्य तारीख एक जून है। इस साल से मानसून के संशोधित कार्यक्रम के अनुसार सामान्य तौर पर यह पूरे देश में आठ जुलाई तक पहुंच जाता है। इस साल केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून एक जून को पहुंचा और आठ जुलाई की सामान्य तारीख से 12 दिन पहले 26 जून तक पूरे देश में पहुंच गया था। मानसून के वापस जाने में विलंब हुआ। यह पश्चिमी राजस्थान और पंजाब के कुछ हिस्सों से वापस जाने की सामान्य तारीख से 13 दिन विलंब से 28 सितंबर को वापस गया। इसके वापस जाने की तारीख इस साल संशोधित कर 17 सितंबर कर दी गई है।
शेष देश से मानसून वापसी की सामान्य तारीख से 13 दिन बाद 28 अक्टूबर को वापस चला गया। पूर्व में मानसून वापस जाने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर थी जिसे अब संशोधित करके 17 अक्टूबर कर दिया गया है।
जलवायु परिवर्तन की वजह से हो सकता है मौसम के रुख में बदलाव
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने कहा, 'मानसून के देर से आने और देर से वापस जाने का चलन रहा है। यह बड़े पैमाने पर बहु-दशकीय घटनाक्रम की वजह से हो सकता है। हमारे पास मानसून का 60 साल का चक्र है, इसलिए यह उसका हिस्सा हो सकता है। मानसून के रुख में बदलाव आया है।' वैज्ञानिक के रूप में मानसून का पिछले 35 साल से अध्ययन करते रहे राजीवन ने कहा, 'यह उसका हिस्सा हो सकता है या यह जलवायु परिवर्तन की वजह से हो सकता है। हम इसके बिल्कुल सही कारण के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं। हमें यह समझने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।' स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पालावत ने कहा कि यह ग्लोबल वाìमग की वजह से हो सकता है।