डॉलर के सामने लगातार कमजोर हो रहे रुपये का आपकी जेब पर भी पड़ेगा असर
रुपये के कमजोर होने से आयात आधारित उत्पादों की लागत बढ़ जाती है और निर्माताओं के सामने कीमत बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता
नई दिल्ली (जेएनएन)। अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी और पूरी दुनिया में ट्रेड वार को लेकर छिड़ी आशंका के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये की हालत लगातार पतली हो रही है। आशंका है कि जल्दी ही अमेरिकी डॉलर सत्तर रुपये का स्तर पार कर जाएगा। कभी सोचा है कि विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाली इस उठा-पटक का आपके जीवन पर क्या असर पड़ता है। हम आपको बताएंगे कि कैसे रुपये के कमजोर होने से आपकी जेब हल्की होगी।
डॉलर की तुलना में रुपये के कमजोर होने से उन चीजों की कीमतें सबसे पहले बढ़ती हैं जो आयात पर निर्भर हैं क्योंकि इन चीजों के निर्माताओं को आयातित कंपोनेंट के लिए पहले से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। इसके मद्देनजर पिछले कुछ दिनों से रुपये में आ रही गिरावट को देखते हुए कार और टेलीविजन बनाने वाली कंपनियां जल्दी ही कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा करने जा रही है। जाहिर है अगर आप ये दोनों चीजें खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आप पर इसका असर पड़ना तय है।
जीएसटी दरों में रियायत होगी बेअसर
जीएसटी लागू होने के एक साल के दौरान केंद्र सरकार लगभग 400 चीजों पर दरों में कमी कर चुकी है। इसकी वजह से काफी चीजें सस्ती हुई हैं, लेकिन जिस तरह से डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आ रही है, उससे तो जीएसटी दरें कम होने के फायदे का स्वाद भी खराब होने की आशंका है।
बढ़ सकती है लक्जरी कारों की कीमत
मर्सिडीज बेंज और ऑडी जैसी लक्जरी कारों के निर्माताओं का कहना है कि अगर रुपये के फिसलने की रफ्तार पर रोक नहीं लगी तो उन्हें मजबूरन कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी। ऐसे हालात में उनके पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। उनका कहना है कि एशिया की तमाम करेंसी के बीच रुपये की हालत सबसे ज्यादा खस्ता है और इसमें निकट भविष्य में कोई सुधार भी नहीं आने वाला है।
मारुति भी तैयारी में
लक्जरी ब्रांडों के अलावा घरेलू कार निर्माता भी कमजोर रुपये का असर महसूस कर रहे हैं। इसलिए, अगर मारुति भी अपनी कारों की कीमत बढ़ा देती है तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। हालांकि मारुति अपने ज्यादातर कल-पुर्जे देश से ही खरीदती है लेकिन कुछ ऐसे कंपोनेंट हैं जिन्हें आयात ही करना पड़ता है। इसके अलावा मूल कंपनी सुजुकी को रॉयल्टी पर भी विदेशी मुद्रा खर्च होती है।
टीवी निर्माताओं ने भी कसी कमर
सोनी, पैनासोनिक और थॉमसन टीवी के निर्माताओं का कहना है कि वे भी अगले महीने कीमतें बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। 32 इंच की टीवी की कीमत में 15 फीसद और उससे बड़े आकार के टीवी की कीमत में 10 फीसद की बढ़ोतरी की जा सकती है। टेलीविजन निर्माता स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। अगर रुपये में सुधार नहीं होता है तो कीमत बढ़ना तय है।